विश्व शिखर पर भारतीय खिलाड़ी

nehwalओलंपिक कांस्य पदक विजेता भारतीय बैडमिंटन स्टार सायना नेहवाल ने हाल ही में विश्व बैडमिंटन रैंकिंग में नंबर एक पर पहुंचकर इतिहास रचा. वह विश्वरैंकिंग में पहले पायदान पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला और दूसरी बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. उनसे पहले प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन की विश्व रैंकिंग में पहले पायदान पर पहुंचने वाले एकमात्र भारतीय खिलाड़ी थे. टेनिस सनसनी सानिया मिर्ज़ा भी विश्व रैंकिंग में पहले पायदान पर पहुंचने की कगार पर पहुंच गई हैं. विश्व की नंबर एक खिलाड़ी बनने के बाद सायना ने कहा है कि रैंकिंग उनके लिए बहुत ज्यादा मायने नहीं रखती है, लेकिन हर खिलाड़ी अपने करियर में दुनिया का नंबर एक खिलाड़ी बनना चाहता है. रैंकिग से आपके प्रदर्शन की कंसिस्टेंसी प्रदर्शित होती है. सायना के लिए साल-2015 बहुत बेहतरीन रहा है. पहले तो वह वह ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचीं. जहां वह कार्लीना मरीन से पार नहीं पा सकीं. इसके बाद दिल्ली में उन्होंने इंडियन ओपन सुपर सीरीज का खिताब जीता, इसी जीत की वजह से वह विश्व रैंकिंग में पहला नंबर तक पहुंचने में सफल हुईं. हालांकि, वह ज्यादा दिनों तक नंबर एक की पोजीशन पर नहीं रह पाईं. विश्व की नंबर एक खिलाड़ी बनने के महज एक सप्ताह बाद ही उन्हें मलेशियन ओपन के सेमी-फाइनल में चीनी खिलाड़ी से मात मिली और उनसे विश्व नंबर एक का खिताब छिन गया. फिलहाल सायना नंबर दो पर हैं, यदि वह ऐसा शानदार प्रदर्शन करती रहीं तो निश्चित तौर पर दोबारा नंबर एक की पोजीशन हासिल करने में कामयाब होंगी. सायना इस बात से खुश हैं कि वह लगातार बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं, यह उनके कठिन परिश्रम का नतीजा है. मुझे इस बात का दुःख है कि मैं लंबे समय तक नंबर वन पर नहीं बनी रह सकी, लेकिन मैं नंबर वन पर वापस पहुंचने की पुरजोर कोशिश करूंगी. मैं टॉप रैंक चीनी खिलाड़ियों को हराने में सफल रही हूं, यदि आगे भी यह सिलसिला चलता रहा तो मैं एक बार फिर विश्व की नंबर एक खिलाड़ी बन जाउंगी.

यह बात जग जाहिर है कि भारत में खेल कभी भी लोगों की वरीयता में नहीं रहे. देश के अधिकांश खिलाड़ियों ने संघर्ष करके ही खेलों की दुनिया में अपना अलग मुकाम बनाया और सफलता की ऊंचाइयों को छुआ. इसी तरह चुनौतियों का सामना करते हुए कई भारतीय खिलाड़ी अलग-अलग खेलों में नंबर एक की पोजीशन हासिल की आइये ऐसे ही कुछ खिलाड़ियों पर नज़र डालते हैं.

विश्वनाथन आनंद

शतरंज में भारत का पिछले दो दशक से प्रतिनिधित्व कर रहे विश्वनाथन आनंद भारत में शतरंज का पर्याय हैं. आनंद पांच बार विश्व चैंपियन का खिताब जीत चुके हैं और कई बार विश्वचैंपियनशिप के फाइनल में भी पहुंचे हैं. अपने करियर में वह कई बार नंबर एक के पायदान पर पहुंचे. कुल मिलाकर वह पूरे करियर में तकरीबन छह महीने तक विश्व के नंबर एक खिलाड़ी रहे हैं. वह पहली बार साल 2007 के अप्रैल महीने में जारी रैंकिंग में विश्व के नंबर एक शतरंज खिलाड़ी बने, अक्टूबर तक वह इस जगह पर बने रहे. इसके बाद व्लादिमिर कार्मनिक ने उन्हें पहले पायदान से हटाया. इसके बाद अप्रैल 2008 में उन्होंने फिर से नंबर एक रैंकिंग हासिल की और जुलाई तक पहली पोजीशन पर बने रहे और अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ 2803 रेटिंग अंक हासिल किये. इसके बाद बुलगारिया के वेसेलिन टोपोलोव ने आनंद को नंबर एक के स्थान से हटा दिया.

लिएंडर पेस
टेनिस का ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने वाले विश्व के सबसे उम्रदराज खिलाड़ी लिएंडर पेस दो दशक से टेनिस में भारत की कमान संभाले हुए हैं. अपने करियर की शुरूआत में पेस टेनिस की जूनियर एकल रैंकिंग में नंबर एक पर पहुंचे थे. इसके बाद वह एकल स्पर्धाओं में लगातार भारत का प्रतिनिधित्व करते रहे और 100 श्रेष्ठ खिलाड़ियों में शामिल हुए, लेकिन इसके बाद उन्होंने युगल स्पर्धाओं में हमवतन महेश भूपति के साथ खेलना शुरू किया और सफलता की नई इबारत लिखनी शुरू की. वह जुलाई 1999 से फरवरी 2000 तक टेनिस की युगल रैंकिंग में नंबर एक पर रहे. पेस करियर में कई पार्टनर्स के साथ कोर्ट में उतरे. लेकिन भूपति के साथ खेलते हुए उन्होंने जो ऊंचाइंया छुईं, वहां तक दोबारा नहीं पहुंच सके. हाल ही में पेस ने अपने करियर का 15 वां ग्रैंड स्लैम खिताब मार्टीना हिंगिस के साथ ऑस्ट्रेलियन ओपन के मिक्स डबल्स के रूप में जीता है.

महेश भूपति

भारत के सर्वकालिक बेहतरीन टेनिस खिलाड़ियों में शुमार महेश भूपति ग्रैड स्लैम खिताब जीतने वाले पहले भारतीय हैं. भूपति ने अपने करियर में कुल 12 ग्रैंड स्लैम खिताब जीते, लेकिन भूपति अपने करियर में केवल दो सप्ताह तक विश्व के नंबर एक खिलाड़ी बन सके. 1999 का साल पेस-भूपति की जोड़ी का सबसे यादगार साल था. टेनिस सर्किट में इंडियन एक्सप्रेस के नाम से मशहूर इन दोनों खिलाड़ियों की जोड़ी के दबदबे के बावजूद भूपति केवल दो सप्ताह तक विश्व के नंबर एक युगल खिलाड़ी बन सके, हालांकि वह पेस की तुलना में लंबे समय तक चोटी के दस खिलाड़ियों में शामिल रहे. कुल मिलाकर वह पूरे करियर में तकरीबन तीन साल तक दुनिया के टॉप टेन खिलाड़ियों में शामिल रहे. वह कई बार नंबर दो की पोजीशन तक पहुंचे लेकिन टॉप पोजिशन पर पहुंचने से चूक गए.

दीपिका कुमारी

2012 के लंदन ओलंपिक में झारखंड की तीरंदाज दीपिका कुमारी भारत के लिए मेडल जीत सकने वाले खिलाड़ियों में से एक थीं. हालांकि वहां उन्हें पहले ही दौर में हार का सामना करना पड़ा. फिलहाल वह विश्व रैंकिंग में 14 वें पायदान पर हैं. 2010 में दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों सहित अन्य स्पर्धाओं में बेहतरीन प्रदर्शन किया था और व्यक्तिगत और टीम स्पर्धा का स्वर्ण पदक हासिल किया था. इसके बाद ग्वांगजू एशियाई खेलों में व्यक्तिगत स्पर्धा का कांस्य पदक अपने नाम किया. इसके बाद इस्तांबुल में साल 2011 में और टोकियो में 2012 में आयोजित विश्वकप में रजत पदक हासिल किया. मई 2012 में अमेरिका के अटलांटा में तीरंदाजी की एकल रिकर्व स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने के बाद जून में जारी हुई रैंकिंग में दीपिका ने पहला स्थान हासिल किया था. वह विश्व नंबर एक में पहुंचने वाली दूसरी भारतीय महिला तीरंदाज हैं, उनसे पहले डोला बनर्जी नंबर एक पर पहुंचीं थीं.

प्रकाश पादुकोण

भारतीय बैडमिंटन को विश्व के मानचित्र पर स्थापित करने वाले प्रकाश पादुकोण बैडंमिटन की विश्व रैंकिग में नंबर एक पर पहुंचने वाले पहले भारतीय थे. बैडमिंटन का यह दिग्गज खिलाड़ी यदि नहीं होता तो शायद हमारे देश को पुलेला गोपीचंद और सायना नेहवाले जैसे खिलाड़ी आज देखने को नहीं मिलते. उनकी उपलब्धियों की वजह से ही इन खिलाड़ियों ने बैडमिंटन को करियर के रूप में अपनाया. वह ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हैं, उन्होंने साल 1980 में यह खिताब हासिल किया था. पादुकोण 1980 से 1983 के दरम्यान कई बार नंबर एक की पोजीशन पर रहे. उन्होंने 1981 में विश्वकप और 1978 में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया था. पादुकोण का इन स्पर्धाओं का जीतना और इसके बाद नंबर वन बनना भारतीय बैडमिंटन जगत के लिए मील का पत्थर साबित हुआ.

महेंद्र सिंह धोनी 

दुनिया भर में कैप्टन कूल और सर्वश्रेष्ठ फिनिशर के रूप में जाने-जाने वाले भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी एक दिवसीय रैंकिंग में पहले पायदान पर रहे हैं. धोनी ने साल 2006 में वन-डे रैंकिंग में पहली पोजीशन हासिल की थी. एक दिवसीय फॉर्मेट के बेहद उम्दा खिलाड़ी हैं. उन्हें साल 2008 और 2009 में आईसीसी का वन-डे प्लेयर ऑफ द इयर घोषित किया गया था. 2010 में वह एक बार फिर वन-डे रैंकिंग में पहले स्थान पर पहुंचे थे.

राहुल द्रविड़ 

क्रिकेट के मिस्टर परफेक्शनिस्ट के रूप में जाने जाने वाले भारतीय पूर्व भारतीय बल्लेबाज राहुल द्रविड़ ने टेस्ट रैंकिग में पहला स्थान हासिल किया था. वह 35 टेस्ट और 226 दिनों तक आईसीसी रैंकिंग में नंबर एक की पोजीशन पर रहे. द्रविड़ पहली बार साल 1998 में विश्व के नंबर एक खिलाड़ी बने थे. उन्हें हटाकर सचिन तेंदुलकर रैंकिंग में पहले पायदान पर काबिज हुए थे. इसके छह साल बाद 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ पाकिस्तान में दोहरा शतक लगाकर एक बार फिर नंबर एक रैंकिंग हासिल की थी. इसके बाद वह छह महीने तक दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी बने रहे. साल 2010 में वह एक बार फिर नंबर एक पर पहुंचे लेकिन इस बार जैक कैलिस ने उन्हें ज्यादा दिनों तक यहां नहीं रहने दिया.

सचिन तेंदुलकर      

करियर में 200 टेस्ट खेलकर, टेस्ट रैकिंग में 18 पायदान पर रहते हुए क्रिकेट को अलविदा कहने वाले क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर क्रिकेट इतिहास के सबसे सफल बल्लेबाज हैं. सचिन आईसीसी रैंकिंग में सबसे पहले 1994 में पहले स्थान पर काबिज हुए थे. वह तीन महीने तक नंबर एक पर रहे. उन्हें हटाकर ब्रायन लारा ने नंबर एक की गद्दी हासिल की थी. सन 1998 में सचिन सिडनी में 155 रन की पारी खेलने के बाद एक बार फिर टेस्ट के नंबर एक बल्लेबाज बन गए. साल 2000 में वह एक बार फिर आईसीसी रैंकिंग में पहले पायदान तक पहुंचे. साल 2002 में भी वह कुछ दिनों तक विश्व के नंबर एक खिलाड़ी रहे लेकिन इस बार एडम गिलक्रिस्ट ने उन्हें पछाड़ते हुए पहला स्थान हासिल कर लिया.सचिन अपने 24 साल लंबे टेस्ट करियर में 1157 दिनों तक  आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में नंबर एक पर रहे. इसके अलावा सचिव एकदिवसीय रैंकिग में भी नंबर एक पर रहे.

जीतू राय

10 मीटर एयर रायफल स्पर्धा के विश्व के नंबर एक खिलाड़ी जीतू राय को अभिनव बिंद्रा का उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है. साल 2014 में जीतू राय ने धमाकेदार प्रदर्शन किया और विश्व कप में स्वर्ण पदक हासिल किया. इसके बाद म्यूनिख में हुई स्पर्धा में उन्होंने दो रजत पदक पर निशाना लगाया. उन्होंने 2014 में एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में देश को स्वर्ण पदक दिलवाये. अपनी सफलताओं के बारे में उनका कहना है कि हर खिलाड़ी को अपनी रैंकिंग मेंटेन करने या सुधार के लिए लगातार बेहतरीन प्रदर्शन करना होता है और कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. मैं भी ऐसी कोशिश कर रहा हूं.

हिना सिद्धूू

साल 2014 में भारत को निशानेबाजी का एक नया सितारा मिला. या कहें हिना सिद्धू को खेल जगत में एक नई पहचान मिली. उन्होंने विश्व रैंकिग में पहला स्थान हासिल कर इतिहास रच दिया. उनके इस मुकाम तक पहुंचने के कारण उनके प्रदर्शन में निरंतरता थी. साल 2008 से लेकर अब तक दुनिया भर में कई खिताब जीते हैं. 2008 में हंगरी ओपन से लेकर 2014 की एशियाई चैंपियनशिप तक वह कई बार स्वर्ण पदक पर निशाना लगाने में सफल रहीं. इसके साथ ही उन्होंने साल 2014 में अमेरिका में आयोजित आईएसएसएफ शुटिंग चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया. हालांकि वह ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों और इंचियोन एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक नहीं जीत सकीं. उन्हें इन स्पर्धाओं में क्रमशः रजत और कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा.

रोेंजन सिंह सोढ़ी 

डबल ट्रैप शूटिंग के उस्ताद माने जाने वाले रोंजन सिंह सोढ़ी फिलहाल विश्व के नंबर एक ट्रैप शूटर हैं. विश्वकप जैसी अन्य स्पर्धाओं में सफल रहने के बावजूद सोढ़ी कभी भी ओलंपिक स्पर्धाओं में अपना जादू नहीं दिखा सके. वह पछले एक दशक से इस स्पर्धा के बेहतरीन खिलाड़ी हैं लेकिन ओलंपिक जैसी बड़ी स्पर्धा में वह हर बार चूक जाते हैं. सोढ़ी ने शूटिंग विश्व कप में साल 2010 और 2011 में डबल ट्रैप का स्वर्ण पदक हासिल किया और 2012 में बहुत थोड़े से अंतर से स्वर्ण पदक जीतने से रह गए. उन्हें देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है, वह ग्वांग्जू एशियाई खेलों में भी स्वर्ण पदक जीते थे. ओलंपिक में सोढ़ी दीपिका कुमारी की तरह दबाव में आकर बेहतरीन प्रदर्शन नहीं कर सके और उन्हें छठवें स्थान से संतोष करना पड़ा. 2016 में रियो ओलंपिक में उनसे करियर के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की आशा की जा रही है.

 

Leave a Reply