पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी मधुमिता बिष्ट आज भारत की नेशनल बैडमिंटन कोच हैं. मधुमिता ने अपने करियर में आठ एकल, नौ युगल और 12 मिक्स डबल्स खिताब जीते. आज वह भारत की युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन कर रही हैं. सायना नेहवाल, पीवी संधु और अन्य खिलाड़ी उनके और गोपीचंद के दिशानिर्देश में सफलता की बुलदियों को छू रहे हैं. इंडियन बैडमिंटन लीग के दूसरे संस्करण की घोषणा के मौके पर उन्होंने चौथी दुनिया संवाददाता नवीन चौहान से भारतीय बैडमिंटन के विभिन्न पहलुओं पर बात की…प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश.

- भारत के रियो ओलंपिक में बैडमिंटन में पदक जीतने की संभावनायें कितनी प्रबल हैं?
बहुत प्रबल हैं, आप देखिए खिलाड़ियों के खेल में बहुत सुधार आया है. खिलाड़ियों की काबिलियत और प्रदर्शन को देखते हुए हम निश्चित तौर पर ज्यादा पदकों की आशा कर रहे हैं. हमारे खिलाड़ी अब दुनिया के टॉप प्लेयर्स को हरा रहे हैं. पीवी सिंधू ने विश्व की नंबर एक खिलाड़ी कैरोलीना मारीन को हराया. पिछली ओलंपिक चैंपियन ल्यू ज्यूरी को वर्ल्ड चैंपियनशिप में हराया, एचएस प्रणय ने लिन डेन को हराया, ऐसा किदंबी श्रीकांत ने भी किया. साइन लगातार ऐसा कर रही हैं. ओलंपिक के लिए खिलाड़ियों को क्वालीफाई करना होता है, जबकि सुपर सीरीज में जगह बनाना उससे ज्यादा कठिन है. सुपर सीरीज में खेलने के लिए आपको वर्ल्ड रैंकिंग में टॉप पर रहना होता है, इसलिए मुझे महसूस होता है कि हमारे खिलाड़ी ओलंपिक में पदक जीतने में सक्षम हैं. इसलिए हम इस बार ज्यादा पदक जीतने की आशा कर रहे हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि हम ऐसा कर पाएंगे. लेकिन बहुत सी चीजें ड्रॉ पर भी निर्भर करती हैं, दूसरा आपके खेल पर सब कुछ निर्भर होता है. मानसिक और शारीरिक तौर पर आप कितने फिट हैं इसका भी हार-जीत पर असर पड़ता है. [Read More…]