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Black & White With Dr. Manish Kumar On Vyapam Scam
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उम्मीद है, सीबीआई एसटीएफ जैसी ग़लती नहीं करेगीः पारस सकलेचा
मध्य प्रदेश के पूर्व विधायक और व्यापमं प्रकरण के पहले व्हिसिल ब्लोअर पारस सकलेचा ने चौथी दुनिया संवाददाता नवीन चौहान से एक लंबी बातचीत की. उन्होंने प्रकरण से संबंधित कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बड़ी बेबाकी से रोशनी डाली. पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश.
व्यापमं और डीमेट घोटाले में आपस में क्या संबंध है?
व्यापमं एक सरकारी संस्था है, जो विभिन्न परीक्षाएं कराती है, जिनमें से एक है पीएमटी, जो घोटाले की वजह से चर्चा में है. मध्य प्रदेश के सभी सरकारी कॉलेजों और निजी कॉलेजों की 42 प्रतिशत सीटों के लिए पीएमटी परीक्षा ली जाती है. निजी कॉलेजों की सीटों के लिए जो परीक्षा होती है, उसे कहते हैं डीमेट. सुप्रीम कोर्ट के 27 मई, 2009 के फैसले के अनुसार सीटों का बंटवारा हुआ कि निजी कॉलेजों की 42 प्रतिशत शासकीय सीटें पीएमटी के माध्यम से भरी जाएंगी और मैनेजमेंट की 43 प्रतिशत सीटें निजी कॉलेज खुद परीक्षा लेकर डीमेट के माध्यम से भरेंगे.
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बंगाल टाइगर का बढ़ता कद
बंगाल टाइगर की दहाड़ आजकल क्रिकेट की दुनिया में हर जगह सुनाई पड़ रही है. ऐसा लगता है कि बांग्लादेश का कायाकल्प हो गया है. श्रीलंका की तरह बांग्लादेशी क्रिकेट टीम का एकदिवसीय क्रिकेट की एक बड़ी टीम के रूप में हो रहा है. बांग्लादेश की इस टीम ने पिछले आठ महीनों में दुनिया की टॉप पांच टीमों को एकदिवसीय सीरीज में पटखनी दी है. यह सिलसिल पिछले साल नवंबर में शुरू हुआ था. बांग्लादेश ने उस सीरीज में जिंबाब्वे को 5-0 के अंतर से मात दी थी. [Read More…]
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लोढ़ा कमेटी का फैसला : एक कदम स्वच्छता की ओर
आईपीएल में अब तक देखने में आया है कि वह सफलता की ओर एक कदम आगे बढ़ता है लेकिन विवादों की वजह से दो कदम पीछे आ जाता है. एक बार फिर देखने में आया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा समिति ने स्पॉट फिक्ंिसग मामले में अपना फैसला सुनाते हुए आईपीएल की दो दिग्गज टीमों चेन्नई सुपर किंग्स(सीएसके) और राजस्थान रॉयल्स(आरआर) को दो साल के लिए निलंबित कर दिया है. वहीं सीएसके के पूर्व ऑफीशियल और पूर्व बीसीसीआई प्रमुख एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मैयप्पन एवं राजस्थान रॉयल्स टीम के सह-मालिक राज कुंद्रा पर समिति ने आजीवन प्रतिबंध लगा दिया है. [Read More…]
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कितना सफल होगा डे-नाइट टेस्ट
परिवर्तन प्रकृति का नियम है. यदि कोई परिस्थितियों के अनुकूल ढ़लने में असमर्थ होता है तो उसका अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है. टेस्ट क्रिकेट के सामने अस्तित्व का संकट लंबे समय से मुंह बाये खड़ा है. टेस्ट क्रिकेट के वजूद को बचाए रखने के कई तरह की योजनायें बनाई गईं, लेकिन उन योजनाओं का कोई असर होता दिखाई दिया. टी-20 क्रिकेट के पदार्पण के बाद टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता में अचानक से गिरावट दर्ज की गई. हालांकि फटाफट क्रिकेट का असर टेस्ट क्रिकेट में सकारात्मक असर भी हुआ. टेस्ट क्रिकेट में भी तेजी आई और अधिकांश टेस्ट मैचों के परिणाम निकलने लगे. टेस्ट मैचों में की नीरसता के स्तर में भी कमी आई. [Read More…]
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व्यापमं की व्यापक कहानी महाघोटाले के आईटी दस्तावेजों की जुबानी : सीबीआई की राह बहुत कठिन होगी
व्यापमं घोटाले की जांच अंततः सीबीआई से कराने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दे ही दिया. इसके पहले इस मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने के संबंध में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जबलपुर हाईकोर्ट में की थी, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने की वजह से हाईकोर्ट ने इस विषय में कोई निर्णय नहीं लिया. सीबीआई जांच के आदेश के बाद बात यहां आकर अटक गई है कि क्या सीबीआई इस मामले की तह तक पहुंच पाएगी? क्या सीबीआई उस मामले का पर्दाफाश कर पाएगी, जिसमें 2500 लोग आरोपी हैं और 500 लोग फरार हैं? क्या छह साल से व्यापमं में हो रही धांधली के अब तक एकत्र सबूतों के आधार पर सीबीआई मामले के मास्टरमाइंड और रसूखदार लोगों को सलाखों के पीछे पहुंचा पायेगी? क्या उनके खिलाफ वह नए और पुख्ता सबूत जुटा पायेगी? क्या सीबीआई इस मामले से जुड़े 47 लोगों की मौत की अबूझ पहेली को सुलझा पाएगी? क्या इसके बाद मामले से जुड़े लोगों की मौतों का सिलसिला बंद हो जाएगा? इन सवालों के जवाब ढूंढना बेहद जरूरी है. [Read More…]
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व्यापमं के बाद अब डीमेट घोटाला…
मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले की जांच अभी चल ही रही थी, तब तक मध्य प्रदेश के निजी चिकित्सा संस्थानों में प्रवेश में घोटाले का पर्दाफाश हो गया. अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रदेश के निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में प्रवेश के होने वाली परीक्षा डीमेट से जुड़ा घोटाला तकरीबन दस हजार करोड़ रुपये का है. शासन के कोटे से निजी डेंटल और मेडिकल कॉलेजों में भरी जाने वाली सीटों को भरने में पिछले 10 सालों में जबरदस्त तरीके से हेराफेरी की गई है. इसके लिए प्राइवेट कॉलेजों ने तरह-तरह के दांव-पेंच का इस्तेमाल किया और करोड़ों रुपये वारे-न्यारे कर दिए.
मध्य प्रदेश डेंटल एंड मेडिकल एडमीशन टेस्ट (डीमेट) की शुरुआत [Read More…] -
स्टीव स्मिथ: क्रिकेट का सुपरमैन
ऑस्ट्रेलिया ने विश्व क्रिकेट को सर डॉन ब्रैडमैन से लेकर रिकी पांटिंग तक कई महान खिलाड़ी दिए हैं. ऑस्ट्रेलिया के नई पीढ़ी के क्रिकेटरों में से एक स्टीव स्मिथ भी उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, आज वह दुनिया के नंबर एक टेस्ट बल्लेबाज भी बन गए हैं.
ऑस्ट्रेलिया के भावी कप्तान स्टीव स्मिथ हर दिन सफलता के शिखर पर चढ़ते जा रहे हैं. साल 2010 में एक स्पिन गेंदबाज के रूप में लॉर्डस के ऐतिहासिक मैदान पर पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट पदार्पण करने वाले स्टीव आज ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट का सबसे चमकता सितारा हैं. एक औसत दर्जे का स्पिन गेंदबाज अचानक से ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम की बल्लेबाजी रीढ़ बन जायेगा, ऐसा किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था. उनके नाम जितने टेस्ट विकेट(15) हैं उससे ज्यादा शतक और अर्धशतक हैं. इस तरह की अनहोनी कोई सुपरमैन ही कर सकता है. अपने पदार्पण टेस्ट मैच में वह आठवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरे थे और दो पारियों में 8 और 12 रन बनाये थे. मैच की पहली पारी में उन्हें गेंदबाजी का मौका नहीं मिला था लेकिन दूसरी पारी में वह 3 विकेट लेने में सफल हुए थे. करियर की शुरूआत स्टीव ने जीत के साथ की थी. इसके बाद सीरीज के दूसरे टेस्ट मैच की दूसरी पारी में उन्होंने 77 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली थी और ऑस्ट्रेलिया को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया था. पहली पारी में ऑस्ट्रेलियाई टीम महज 88 रनों पर ढ़ेर हो गई थी. साल 2010-11 में उन्हें ऐशेज सीरीज के दौरान तीन टेस्ट खेलने का मौका मिला था. लेकिन इस बार उन्हें टीम में बतौर बल्लेबाज जगह दी गई थी, उन्होंने इस बार छठवें नंबर पर बल्लेबाजी की. सीरीज में उनका प्रदर्शन बेहतरीन रहा और उन्होंने दो अर्धशतक लगाये. इसके बाद अगले 2 साल तक स्मिथ को टेस्ट टीम में जगह नहीं मिल सकी. तीन साल के अंतराल में वह केवल पांच टेस्ट खेल सके थे. साल 2013 के भारत दौरे के लिए उन्हें टीम में शामिल किया गया. यह दौरा उनके करियर का अहम पड़ाव साबित हुआ. मोहाली में खेले गए सीरीज के पहले टेस्ट मैच में स्मिथ ने 92 रनों की पारी खेली. इसके बाद स्मिथ टीम ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम के नियमित सदस्य बन गए और एक विशुद्ध बल्लेबाज के रूप में खेलने लगे. 2013 की ऐशेज के आखिरी टेस्ट में उन्हें करियर का पहला टेस्ट शतक बनाने में कामयाबी मिली, इसके बाद स्मिथ ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. छोटे से करियर में जिन ऊंचाइयों को स्मिथ ने छुआ है वह काबिले तारीफ है. इसी वजह से आज वह आईसीसी रैंकिंग में पहले पायदान पर पहुंचने में सफल हुए हैं. [Read More…]
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व्यापमं घोटाला : सच के सिपाहियों की जान कौन बचाएगा
साल 2005 में जब आरटीआई क़ानून लागू हुआ था, तब से आज तक सैकड़ों आरटीआई कार्यकर्ता अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं. कुल मिलाकर यह कि जो भी भ्रष्टाचार के ख़िला़फ आवाज़ उठाएगा, उसे अपनी जान गंवानी पड़ेगी. बहरहाल, साल 2010 में यूपीए-2 सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को सुरक्षा देने के उद्देश्य से एक बिल लेकर आई, जिसे पब्लिक इंटरेस्ट डिसक्लोज़र ऐंड प्रोटेक्शन फॉर पर्सन्स मेकिंग डिसक्लोज़र बिल 2010 नाम दिया गया… संक्षेप में कहें, तो व्हिसिल ब्लोअर बिल 2010. व्हिसिल ब्लोअर बिल 2010 में सरकारी धन के दुरुपयोग और सरकारी संस्थाओं में हो रहे घोटालों की जानकारी देने वाले व्यक्ति को व्हिसल ब्लोअर माना गया है. यानी भ्रष्टाचार के ख़िला़फ बिगुल बजाने वाला. इस बिल में केंद्रीय सतर्कता आयोग(सीवीसी) को अतिरिक्तअधिकार दिए गए. सीवीसी को दीवानी अदालत जैसी शक्तियां भी देने की बात कही गई. सीवीसी भ्रष्टाचार के ख़िला़फ आवाज़ उठाने वालों के ख़िला़फ अनुशासनात्मक कार्रवाई रोक सकता है. भ्रष्टाचार की जानकारी देने वाले की पहचान गुप्त रखने की ज़िम्मेदारी सीवीसी की है. अगर पहचान उजागर होती है, तो ऐसे अधिकारियों के ख़िला़फ शिक़ायत भी की जा सकेगी. इस विधेयक के दायरे में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी भी शामिल हैं. बहरहाल, इस विधेयक में सीवीसी को जितनी ज़िम्मेदारी सौंपी गई, सीवीसी उसे पूरा कर पाने में सफल होगा या नहीं, यह एक सवाल था. जैसे, क्या सीवीसी की सांगठनिक संरचना इतनी बड़ी है, जिससे वह भारत जैसे बड़े देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की समस्या से लड़ पाए? राज्यों, ज़िलों और पंचायतों में फैले भ्रष्ट्राचार से कैसे निबटेगा सीवीसी? [Read More…]
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मोदी का बांग्लादेश दौरा : रिश्तों का नया अध्याय
1971 में बांग्लादेश के गठन के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच 16 मई, 1974 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर्ररहमान कि अगुवाई में भूमि-सीमा समझौता हुआ था. 41 साल पहले शुरू हुए इस समझौते को अंतिम वैधानिक रूप देना न सिर्फ दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक जगत की एक अहम घटना के तौर पर देखा जा रहा है. [Read More…]