
भारत सचमुच अद्भुत देश है. यहां के घोटाले अद्भुत हैं. पानी, कोयला, हवा, तरंग, कुछ भी नहीं बचा है. इसी तरह यहां की जांच भी अद्भुत है. जैसे, सीबीआई जांच. कोयला घोटाला याद कीजिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, तोता पिंजरे में कैद है, तोते को आज़ाद कीजिए. सरकार बदल गई, लेकिन क्या पिंजरे का ताला खुला? इस सवाल का जवाब व्यापमं घोटाले की जांच से निकलता है. घोटाले की शुरुआती जांच देखकर तो लगता है कि तोता अभी भी पिंजरे में है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के ढाई महीने बाद भी सीबीआई व्यापमं घोटाले की जांच पूरी तरह अपने हाथों में नहीं ले सकी है. खुद सीबीआई ने शपथ-पत्र देकर कहा है कि उसके पास इतने संसाधन नहीं हैं कि वह डीमैट घोटाले की जांच कर सके. व्यापमं घोटाले में 215 एफआईआर दर्ज हैं, 2,500 से ज़्यादा आरोपी हैं, जिनमें से 600 आरोपी फरार हैं. सीबीआई को उन्हें पकड़ना है, पूछताछ करनी है, लेकिन ढाई महीने बाद भी अब तक सीबीआई महज 107 मामले अपने हाथों में ले पाई है. अब आगे क्या होगा, इसका अनुमान लगाते रहिए. फिलहाल, इन्हीं तमाम सवालों के जवाब तलाश रही है चौथी दुनिया की यह विशेष रिपोर्ट:-
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