साल 2015 ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के लिए संन्यास का साल बनकर आया है, एक के बाद एक छह ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने इस साल टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया. संन्यास लेने वाले छठवें खिलाड़ी तेज़ गेंदबाज मिचेल जॉनसन हैं. मिचेल से पहले माइकल क्लार्क, ब्रेड हैडिन, क्रिस रोजर्स, रेयान हैरिस और शेन वाटसन ने भी टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया था. मिचेल ने न्यूजीलैंड के ख़िलाफ पर्थ में खेले जा रहे श्रृंखला के दूसरे टेस्ट के चौथे दिन संन्यास की घोषणा की. उन्होंने संन्यास का ऐलान करते हुए कहा कि, मुझे लगता है कि क्रिकेट को अलविदा कहने का यह सही समय है. मैं काफी भाग्यशाली रहा हूं कि मेरा करियर शानदार रहा और देश के लिए खेलते हुए मैंने प्रत्येक क्षण का मजा लिया. यह एक अद्भुत सफर था लेकिन इस सफर को कहीं तो रुकना ही था और वाका में ऐसा करना बेहद खास है. मैंने काफी सोच-विचार कर यह फैसला लिया है. मुझे नहीं लग रहा था कि इस मैच के बाद मैं उसी जोश के साथ प्रदर्शन कर पाऊंगा.
मिचेल की संन्यास की घोषणा के ठीक पहले वाका मैदान पर उनके खराब प्रदर्शन को देखते हुए पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान मार्क टेलर ने टिप्पणी की थी कि मिचेल को अब संन्यास ले लेना चाहिए. पर्थ में खेले जा रहे टेस्ट मैच की पहली पारी में मिचेल ने 157 रन देकर केवल एक विकेट हासिल किया था. न्यूज़ीलैंड के केन विलियम्सन और रॉस टेलर ने उनकी गेंदों की जमकर धुनाई की. करियर की अंतिम और टेस्ट की दूसरी पारी में भी मिचेल महज दो विकेट हासिल कर सके. 157 रनों पर एक विकेट, पर्थ की तेजतर्रार पिच पर किसी भी ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज के आजतक के सबसे खराब आंकड़े हैं. इन आंकड़ों को देखते हुए टेलर ने कहा था कि भले ही यह टेस्ट मिचेल के करियर का आखिरी टेस्ट न हो, लेकिन प्रशंसक जल्दी ही उनकी विदाई देखने वाले हैं. हालांकि मैच के शुरू होने से पहले जॉनसन ने कहा था, जब तक मैं जबतक अच्छा प्रदर्शन करता रहूंगा और टीम के लिए योगदान देता रहूंगा तब तक खेलता रहूंगा. लेकिन अब यह माना जा रहा है कि पर्थ टेस्ट में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद उन्होंने संन्यास का निर्णय ले लिया.
पिछले महीने फॉक्स स्पोर्ट्स के लिए लिखे एक कॉलम में मिचेल ने संन्यास के संकेत दिए थे. उस कॉलम में उन्होंने लिखा था कि इस साल एशेज में मिली हार के बाद से ही वह रिटायर्मेंट के बारे में सोच रहे हैं. उन्होंने यह भी लिखा था कि जब मैं पर्थ वापस आया और टीवी पर मेटाडोर कप देख रहा था तो मैंने पाया कि कई नए लड़के अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं. इससे मुझे एहसास हुआ कि मैं अपने करियर में कहां हूं? लेकिन संन्यास की घोषणा करते वक्त जॉनसन ने कहा कि मैंने बहुत सोच-समझ कर यह फैसला लिया है. इस मैच के बाद मुझे नहीं लगता कि मैं बैगी ग्रीन (टीम ऑस्ट्रेलियाई की क्रिकेट कैप) पहनने के लिए उस लेवल की मेहनत करने के काबिल हूं. आज से दो साल पहले साल 2013-14 में घरेलू सरजमीं पर इंग्लैंड के खिलाफ एशेज में 5-0 के अंतर से मिली जीत का सेहरा मिचेल के सिर सजा था. सीरीज में अपनी तूफानी गेंदबाज़ी के दम पर मिचेल ने 37 विकेट झटककर इंग्लैंड के बल्लेबाजी क्रम को तहस-नहस कर दिया था. इसके बाद उसी सीजन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में जॉनसन ने 22 विकेट चटकाए थे. यह उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ दौर था. इसके बाद मिचेल के प्रदर्शन में वह आक्रामकता नहीं दिखाई दी. साल 2007 में टेस्ट करियर का आगाज करने वाले मिचेल को ग्लेन मैग्रा के संन्यास के बाद टीम में जगह मिली थी. महान ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज डेनिस लिली ने 17 वर्ष की उम्र में मिचेल की प्रतिभा को पहचाना था और कहा था कि मिचेल जैसे गेंदबाज सदी में एक बार पैदा होते हैं.
मिचेल ने अंतरराष्ट्रीय करियर में 73 टेस्ट, 153 एक दिवसीय और 30 टी-20 मैच खेले. टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 28.40 की औसत से 313 विकेट हासिल किए. टेस्ट विकेटों के मामले में वह शेन वार्न (708), ग्लेन मैक्ग्राथ (563) और डेनिस लिली (355) के बाद चौथे पायदान पर हैं. उन्होंने पर्थ टेस्ट में डग ब्रेसवेल का विकेट लेकर ब्रेट ली को पीछे छोड़ा था. उन्होंने 153 वनडे मैचों 25.26 की औसत से 239 और 30 टी-20 मैचों में 20.97 की औसत से 38 विकेट हासिल किए. सर्वाधिक विकेट लेने के मामले में वह विश्व के गेंदबाजों की सूची में 25 वें पायदान पर हैं.
मिचेल की जिम्मेदारी को निभाने के लिए टीम में मिचेल स्टार्क पूरी तरह तैयार हैं, विश्वकप में मैन ऑफ द सीरीज बनने से लेकर अब तक स्टार्क ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है. वह हर कदम पर जॉनसन से बेहतर साबित हुए हैं, ऐसे में बढ़ती उम्र और गिरते फॉर्म के कारण वह अंदर ही अंदर संन्यास लेने का मन बना रहे थे. ऐसे में यदि उन्हें टीम से बाहर का रास्ता दिखाया जाता तो उनके लिए टीम में वापसी कर पाना बेहद कठिन हो जाता. इसलिए जॉनसन ने सही समय पर सही फैसला करते हुए मैदान पर सक्रिय रहते हुए क्रिकेट को अलविदा कह दिया. अब अगली ऐशेज से पहले टीम को नए सिरे से तैयार करने का कप्तान स्टीव स्मिथ के पास पूरा मौका है ताकि वह अपनी तरकश में आए नए तीर को अनुभव की कसौटी पर कसकर और पैना कर सकें.
करियर की अच्छी शुरुआत के बाद साल 2009 में वह अपने करियर के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे, साल 2010-11 की ऐशेज सीरीज के दौरान उनका करियर अंधकारमय नज़र आने लगा था. लेकिन इस दौरान टखने की चोट की वजह से उन्हें टीम से बाहर बैठना पड़ा. वापसी के लिए वह एक बार फिर डेनिस लिली की शरण में पहुंचे, लिली के साथ ट्रेनिंग करना उनके लिए वरदान साबित हुआ. इस दौरान जॉनसन ने अपने रनप को थोड़ा छोटा किया, ऐसा करने वह पहले से ज्यादा घातक हो गए थे. उनकी टीम में वापसी ज्यादा धमाकेदार नहीं रही लेकिन वह धीरे-धीरे अपनी लय हासिल करने में सफल रहे. 2013 में भारत दौरे पर आई टीम में उन्हें जगह मिली लेकिन इसके बाद इंग्लैंड में खेली गई एशेज के लिए उन्हें टीम में शामिल नहीं किया गया. इसके बाद जब उन्हें 2013-14 में घरेलू सरजमीं पर ऐशेज खेलने का मौका मिला तो जॉनसन ने लोगों को लिली-थॉमसन की जोड़ी की याद दिला दी. इस सीरीज में वह इतने आक्रामक थे कि कोई भी इंग्लिश गेंदबाज उनके सामने नहीं टिक पाया. उन्हें मैन ऑफ दि सीरीज चुना गया. उनकी कलाई की पोजिशन का उनकी गेंदबाजी में बड़ा योगदान रहा, यदि उनकी कलाई की दिशा सही है, दुनिया में उनसे बेहतर कुछ ही चुनिंदा गेंदबाज हुए हैं, लेकिन कलाई की पोजीशन सही नहीं है तो इनके जैसा असरहीन तेज़ गेंदबाज भी दूर-दूर तक नहीं दिखाई देता था. लेकिन वह अपनी गेंदों में जिस तरह स्लोअर्स और बाउंसर्स का मिश्रण करते थे वह बल्लेबाजों को अचंभे में डालने के लिए काफी था. इन्हीं सभी विधाओं की वजह से वह आज दुनिया के सफलतम गेंदबाजों में से एक हैं. भले ही उन्हें बायें हाथ का सर्वकालिक महान गेंदबाज नहीं कहा जाए, लेकिन उन्हें दुनिया के बायें हांथ के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में हमेशा शुमार किया जाएगा और उनकी बेखौफ गेंदबाजी के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.
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