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हमें बैडमिंटन में नहीं, हर खेल में गोपीचंद चाहिए…
आम तौर पर कहा जाता है कि एक असफल खिलाड़ी अच्छा कोच साबित होता है। लेकिन यह कहावत भारतीय बैडमिंटन के द्रोणाचार्य पुलेला गोपीचंद पर खरी नहीं उतरती है। साल 2001 में ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने वाले पुलेला गोपीचंद एक सफल बैडमिंटन खिलाड़ी रहे हैं लेकिन बतौर कोच वह ज्यादा सफल हो रहे हैं। लगातार दो ओलंपिक खेलों में देश के लिए पदक जीतने वाले खिलाड़ियों में एक चीज कॉमन है कि दोनों के कोच पुलेला गोपीचंद ही थे। -
इंडियन सुपर लीग सीजन-2 : चेन्नई बना चैंपियन
आईएसएल के दूसरे सीजन के फाइनल मुक़ाबले में चेन्नईयन एफसी ने मेजबान गोवा 3-2 के अंतर से हराकर खिताब पर क़ब्जा कर लिया. मैच के पहले हाफ में मुक़ाबला बराबरी पर था, दोनों ही टीमें पहले हाफ में कोई गोल नहीं कर सकीं. लेकिन दूसरे हाफ में दोनों टीमों ने आक्रामक खेल का प्रदर्शन किया. चेन्नई के ब्रूनो पेलीसारी ने मैच के 54वें मिनट में पेनल्टी के जरिए गोल करके टीम को 1-0 की बढ़त दिला दी. बहरहाल, चेन्नई की यह बढ़त ज्यादा देर तक नहीं टिकी. मैच के 58वें मिनट में थोंगखोसिएम होकिप के गोल की बदौलत गोवा ने 1-1 से बराबरी कर ली. 87वें मिनट तक मुक़ाबला 1-1 की बराबरी पर था, लेकिन 87 वें मिनट में ज्योसफ्रे ने गोवा की ओर से गोल दागा. 2-1 की बढ़त देख गोवा के प्रशंसक स्टेडियम में झूमने लगे. लेकिन उनकी यह खुशी 3 मिनट से ज्यादा नहीं टिक सकी. [Read More…]
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खराब पिचों के कारण : टेस्ट किक्रेट तमाशा बन गया है
भारतीय उप-महाद्वीप में खराब पिच को लेकर हमेशा से सवाल खड़े होते रहे हैं. भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेली जा रही हालिया टेस्ट सीरीज के तीसरे टेस्ट मैच में यह सवाल एक बार फिर जीवंत हो उठा. दोनों देशों के बीच मोहाली में खेला गया पहला टेस्ट तीन दिन में समाप्त हो गया, बैंगलुरू में खेला गया दूसरा टेस्ट बारिश की भेंट चढ़ गया, इसके बाद नागपुर में खेले गए सीरीज के तीसरे टेस्ट मैच भी तीसरे दिन ही खत्म हो गया और?भारत ने सीरीज में अपराजेय बढ़त हासिल कर ली. ऐसे में पिच पर सवाल उठने भी लाजिमी थे. नागपुर में तो अप्रत्याशित तौर पर पहले ही दिन पिच टूटने लगी. यदि दूसरे दिन लंच तक पिच से धूल उड़ने लगे तो गेंद जरूरत से ज्यादा स्पिन होगी ही. ऐसे में दक्षिण अफ्रीकी बल्लेेबाजों के पास आर अश्विन, रविंद्र जड़ेजा और अमित मिश्रा की घूमती गेंदों का कोई जवाब नहीं था और वे एक-एक करके धराशायी होते चले गए. [Read More…]
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रफ़्तार के शहंशाह : मिचेल जॉनसन का संन्यास
साल 2015 ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के लिए संन्यास का साल बनकर आया है, एक के बाद एक छह ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने इस साल टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया. संन्यास लेने वाले छठवें खिलाड़ी तेज़ गेंदबाज मिचेल जॉनसन हैं. मिचेल से पहले माइकल क्लार्क, ब्रेड हैडिन, क्रिस रोजर्स, रेयान हैरिस और शेन वाटसन ने भी टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया था. मिचेल ने न्यूजीलैंड के ख़िलाफ पर्थ में खेले जा रहे श्रृंखला के दूसरे टेस्ट के चौथे दिन संन्यास की घोषणा की. उन्होंने संन्यास का ऐलान करते हुए कहा कि, मुझे लगता है कि क्रिकेट को अलविदा कहने का यह सही समय है. मैं काफी भाग्यशाली रहा हूं कि मेरा करियर शानदार रहा और देश के लिए खेलते हुए मैंने प्रत्येक क्षण का मजा लिया. यह एक अद्भुत सफर था लेकिन इस सफर को कहीं तो रुकना ही था और वाका में ऐसा करना बेहद खास है. मैंने काफी सोच-विचार कर यह फैसला लिया है. मुझे नहीं लग रहा था कि इस मैच के बाद मैं उसी जोश के साथ प्रदर्शन कर पाऊंगा. [Read More…]
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खेलों के विकास के लिए व्यापक सोच की जरूरत : पुलेला गोपीचंद
रियो ओलंपिक मजह छह-सात महीने दूर हैं, बतौर बैंडमिंटन के राष्ट्रीय कोच आपको भारत के कैसे प्रदर्शन की आशा है?
अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन जिस तरह का प्रदर्शन भारतीय खिलाड़ी विभिन्न प्रतियोगिताओं में कर रहे हैं, उससे लगता है कि ओलंपिक में बड़ा भारतीय दल भाग लेगा. एक बार खिलाड़ी ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लें, उसके बाद हम खिलाड़ियों के आधार पर ओलंपिक के लिए तैयारियां कर सकेंगे. [Read More…]
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रियो ओलंपिक में बैडमिंटन एक से ज्यादा पदक जीतेगा भारत : मधुमिता बिष्ट
पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी मधुमिता बिष्ट आज भारत की नेशनल बैडमिंटन कोच हैं. मधुमिता ने अपने करियर में आठ एकल, नौ युगल और 12 मिक्स डबल्स खिताब जीते. आज वह भारत की युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन कर रही हैं. सायना नेहवाल, पीवी संधु और अन्य खिलाड़ी उनके और गोपीचंद के दिशानिर्देश में सफलता की बुलदियों को छू रहे हैं. इंडियन बैडमिंटन लीग के दूसरे संस्करण की घोषणा के मौके पर उन्होंने चौथी दुनिया संवाददाता नवीन चौहान से भारतीय बैडमिंटन के विभिन्न पहलुओं पर बात की…प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश.
- भारत के रियो ओलंपिक में बैडमिंटन में पदक जीतने की संभावनायें कितनी प्रबल हैं?
बहुत प्रबल हैं, आप देखिए खिलाड़ियों के खेल में बहुत सुधार आया है. खिलाड़ियों की काबिलियत और प्रदर्शन को देखते हुए हम निश्चित तौर पर ज्यादा पदकों की आशा कर रहे हैं. हमारे खिलाड़ी अब दुनिया के टॉप प्लेयर्स को हरा रहे हैं. पीवी सिंधू ने विश्व की नंबर एक खिलाड़ी कैरोलीना मारीन को हराया. पिछली ओलंपिक चैंपियन ल्यू ज्यूरी को वर्ल्ड चैंपियनशिप में हराया, एचएस प्रणय ने लिन डेन को हराया, ऐसा किदंबी श्रीकांत ने भी किया. साइन लगातार ऐसा कर रही हैं. ओलंपिक के लिए खिलाड़ियों को क्वालीफाई करना होता है, जबकि सुपर सीरीज में जगह बनाना उससे ज्यादा कठिन है. सुपर सीरीज में खेलने के लिए आपको वर्ल्ड रैंकिंग में टॉप पर रहना होता है, इसलिए मुझे महसूस होता है कि हमारे खिलाड़ी ओलंपिक में पदक जीतने में सक्षम हैं. इसलिए हम इस बार ज्यादा पदक जीतने की आशा कर रहे हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि हम ऐसा कर पाएंगे. लेकिन बहुत सी चीजें ड्रॉ पर भी निर्भर करती हैं, दूसरा आपके खेल पर सब कुछ निर्भर होता है. मानसिक और शारीरिक तौर पर आप कितने फिट हैं इसका भी हार-जीत पर असर पड़ता है. [Read More…]
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ज़हीर ख़ान का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास : क़ाबिलियत पर भारी चोटें
तेज गेंदबाज जहीर खान ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया. बाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज़ ने लंबे समय तक भारतीय आक्रमण की बागडोर संभाली. वह पिछले कुछ समय से फिटनेस की समस्या से जूझ रहे थे. इस वजह से उन्हें टीम इंडिया से बाहर रखा गया था. खान ने आखिरी टेस्ट फरवरी, 2014 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला था, वहीं आखिरी वनडे अगस्त, 2012 में श्रीलंका के खिलाफ पल्लीकल में खेला था. उसके बाद वे टीम इंडिया में वापसी नहीं कर सके. हालांकि इस बीच 2015 में उन्होंने आईपीएल में वापसी की, लेकिन उनकी गेंदबाजी में वह धार नहीं दिखी जिसके लिए वह जाने जाते हैं. उन्होंने टीम इंडिया की ओर से कुल 92 टेस्ट मैच खेले और 311 विकेट हासिल किए, जबकि 200 वनडे मैचों में 282 विकेट लिए. इसके अलावा 17 अंतरराष्ट्रीय टी-20 मैचों में 17 विकेट लिए. [Read More…]
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सहवाग जैसे क्रिकेटर बनते नहीं, पैदा होते हैं
अटकलों और अफवाहों के दौर के बाद नज़फगढ़ के नवाब और मुल्तान के सुल्तान के नाम से मशहूर भारतीय बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया. अपने 37 वें जन्मदिन के मौके पर संन्यास की घोषणा करते हुए सहवाग ने कहा कि भारत के लिए खेलना एक यादगार सफ़र रहा है और मैंने इसे साथी खिलाड़ियों और भारतीय क्रिकेट फैंस के लिए और यादगार बनाने की कोशिश की. मुझे लगता है कि ऐसा करने में मैं कुछ हद तक कामयाब रहा. अपने बयान के आखिर में सहवाग ने कहा, मैं उन सभी लोगों का भी शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जिन्होंने बीते सालों में क्रिकेट के बारे में मुझे सलाह दी. मैं ज्यादातर सलाह को न मानने के लिए माफ़ी चाहता हूं. मेरे पास सलाह ना मानने का एक कारण था, मैं अपने तरीक़े से खेल रहा था. निःसंदेह सहवाग ने ऐसा ही किया. [Read More…]
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विश्व चैंपियनशिप में भारत की झोली खाली : शारीरिक के साथ मानसिक तैयारी की आवश्यक्ता
रियो ओलंपिक के आयोजन में एक साल से भी कम का समय बचा है, लंदन ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 6 पदकों पर कब्जा किया था. इसके बाद सरकार ने खेलों और खिलाड़ियों पर विशेष ध्यान देने की बात कही थी, लेकिन जैसे जैसे ओलंपिक खेल करीब आ रहे हैं एथलीटों के प्रदर्शन को देखकर ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि निश्चित तौर पर भारतीय एथलीट रियो ओलंपिक में कम से कम दो पदक भारत की झोली में डालेंगे और कई दशकों से चले आ रहे पदकों के सूखे को खत्म करेंगे. गौरतलब हो कि आज तक भारत ओलंपिक की एथलेटिक्स स्पर्धाओं में एक भी पदक नहीं जीत सका है. हाल ही में चीन की राजधानी बीजिंग में आयोजित 15 वीं विश्व चैंपियनशिप में भारतीय खिलाड़ियों के लिए बेहद निराशाजनक साबित हुए. [Read More…]
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बाइस साल बाद : लंका में बजा डंका
भारत की युवा कप्तान के नेतृत्व में श्रीलंका दौरे पर गई भारतीय क्रिकेट टीम ने इतिहास रच दिया है. टीम इंडिया 22 साल बाद श्रीलंकाई धरती पर टेस्ट सीरीज जीतने में सफल हुई है. इससे पहले श्रीलंका में मोहम्मद अजहरूद्दीन की कप्तानी में जीत हासिल हुई थी. इसके अलावा यह भारतीय टीम की चार साल बाद विदेशी सरजमीं पर मिली पहली टेस्ट सीरीज विजय है. टीम इंडिया ने साल 2011 में वेस्टइंडीज में टेस्ट सीरीज जीती थी. जो कारनाम महेंद्र सिंह धोनी और सौरव गांगुली जैसे सफलतम भारतीय कप्तान नहीं कर सके, वह कारनामा विराट कोहली और उनकी युवी बिग्रेड ने कर दिखाया है. विराट ने बतौर कप्तान अपने पहले विदेशी दौरे में जीत हासिल की है. हालांकि दोनों टीमों के खेल में पुरानी बात नज़र नहीं आई. दोनों ही टीमें बदलाव के दौर से गुजर रही हैं, दोनों ही टीमों में नये खिलाड़ियों की बहुतायत है. ऐसे में भारतीय टीम श्रीलंका के सामने इक्कीस साबित हुई. अंतरराष्ट्रीय करियर की आखिरी टेस्ट सीरीज खेल रहे कुमार संगाकारा का फॉर्म में न होना भारतीय टीम के लिए फायदे मंद साबित हुआ, यदि उनके बल्ले का जादू सीरीज में चल जाता तो सीरीज की परिणाम कुछ और ही होता. भारतीय टीम भले ही जीत गई हो लेकिन टीम में अभी भी बहुत सी कमियां हैं. [Read More…]