• 28 साल बाद हाशिमपुराः इंसाफ की जंग जारी रहेगी

               pkp22 मार्च, 2015 को हाशिमपुरा मामले का दिल्ली की तीस हजारी (विशेष अदालत) ने फैसला सुनाते हुए सभी अभियुक्तों को संदेह का फायदा (बेनिफिट ऑफ डाउट) देते हुए बरी कर दिया. इसके बाद 24 मार्च, 2015 को दिल्ली के लोधी रोड स्थित इंडियन सोशल इंस्टीट्यूट में इस मामले में पांच चश्मदीद गवाह और पीड़ित परिवारों के सदस्यों सहित सिविल सोसायटी के लोगों ने शिरकत की और इंसाफ मिलने तक लड़ाई जारी रखने की घोषणा की. अदालत ने पुख्ता सबूतों के आभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया. इससे यह सवाल उठता है कि क्या सरकार के सभी अंग लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं या फिर वे सभी इसकी विपरीत दिशा में काम करते हैं. साल 1987 में घटित इस घटना की जांच कर रही सीबीसीआईडी ने 9 साल बाद चार्जशीट दाखिल की. इसके बाद भी जब उत्तर प्रदेश में इस मामले की न्यायिक प्रक्रिया एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी, तब एक याचिका की सुनवाई करते हुए साल 2002 में उच्चतम न्यायालय ने इस मामले को उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया. केस के दिल्ली आने के बाद जस्टिस सच्चर के कहने पर पीड़ित पक्ष की वर्तमान वकील वृंदा ग्रोवर ने इस केस की पैरवी करनी शुरू की.

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  • भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के ख़िलाफ़ आंदोलन : अपनी डफली, अपना राग

    अन्ना ने अपनी नई पारी का आगाज किसानों के लिए एकता परिषद की यात्रा को पलवल से रवाना करके किया. इस दौरान वहां उन्होंने घोषणा की कि दिल्ली में उनके समर्थन में पंजाब, हरियाणा और पश्‍चिमी उत्तर प्रदेश के हज़ारों किसानों का हुजूम उमड़ेगा. लेकिन स्थिति ठीक इसके उलट दिखाई दी. 23 तारीख के कार्यक्रम में दादरी में ज़मीन अधिग्रहण का विरोध करने वाले भारतीय किसान मंच के सबसे ज़्यादा लोग दिखाई दिए. इसके अलावा मंच पर वही लोग नज़र आए, जो अन्ना के आंदोलन में हर जगह नज़र आते हैं. नहीं दिखाई दिए, तो वे किसान, जिनका भूमि अधिग्रहण से सीधा वास्ता है.

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    Anna @ Jantar Mantar

    लंबे अंतराल के बाद अन्ना हजारे आंदोलन की राह पर लौटे. उन्होंने एक बार फिर जंतर मंतर को अपनी जंग का मैदान बनाया. भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के विरोध में कई राजनीतिक और ग़ैर-राजनीतिक किसान संगठन पिछले कुछ महीनों से आंदोलन की तैयारी में जुटे थे. लेकिन इसी बीच अन्ना ने आंदोलन की घोषणा कर दी. इसके बाद आंदोलन की तैयारी में तथाकथित अन्ना समर्थक जुट गए. सबसे पहले 24 फरवरी को अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी जन-आंदोलन न्यास के बैनर तले एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन की योजना बनाई गई थी, लेकिन अचानक कार्यक्रम में संशोधन कर उसे दो दिवसीय (23 और 24 फरवरी) कर दिया गया. साथ ही कार्यक्रम को पीवी राजगोपाल की एकता परिषद की यात्रा से भी जोड़ दिया गया, जिनकी मांग भूमिहीनों को आवास के लिए ज़मीन की है, न कि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का विरोध.

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  • व्यापमं घोटालाः बैकफुट पर शिवराज सरकार

    ghotaleमध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल भर्ती मामले को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार बैकफुट पर नज़र आने लगी है. दिन-ब-दिन यह मामला बड़ा होता जा रहा है. व्यापमं मामले की वजह से विधानसभा के बजट सत्र को समय से एक महीने पहले ही सरकार को खत्म करना पड़ा. इस मामले की आंच राजभवन तक पहुंचने से यह बात तो साबित हो गई है कि इस घोटाले को ऊंचे स्तर पर निर्देशित किया गया है. जब प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को इस मामले में गिरफ्तार किया गया था, तब उन्होंने कहा था कि मेरे ऊपर भी लोग हैं और उनकी तरफ से अनुशंसायें आईं थीं. अब इस मामले में प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है. उनपर आरोप है कि उन्होंने तीन उम्मीदवारों को फर्जी तरीके से वन रक्षक भर्ती परीक्षा में अपने पद का दुरुपयोग कर पास करवाया. हालांकि उन्होंने अपने खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को अदालत में इस आधार पर चुनौती दी है कि वह संवैधानिक पद पर हैं और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती है, लेकिन इससे पहले राज्यपाल के ओएसडी और उनके बेटे शैलेश यादव का नाम इस घोटाले में आ चुका है. इस घोटाले के प्रमुख आरोपी पंकज त्रिवेदी डेढ़ साल में करीब छह बार राजभवन गया था. इस बात का खुलासा राजभवन की विजिटर्स लॉगबुक से हुआ है. इस लॉगबुक को एसटीएफ एफआईआर दर्ज करने से पहले ही जब्त कर चुकी है. यह राज्यपाल और उनके बेटे के खिलाफ सबसे अहम सबूत साबित हो सकता है. [Read More…]