एक आइडिया आपकी किस्मत बदल सकता है, आइडिया मोबाइल का यह विज्ञापन फ्लिपकार्ट जैसी कंपनी के ऊपर बिल्कुल खरा उतरता है. 2007 में महज 10 हज़ार रुपये से शुरू हुई यह कंपनी आज तक़रीबन 61 सौ करोड़ रुपये की हो गई है. आज इस कंपनी में 33 हज़ार से भी ज़्यादा कर्मचारी काम करते हैं. यह स्टार्टअप की सफलता का जीता-जागता उदाहरण है, जिसके बल पर फ्लिपकार्ट के संस्थापक सचिन एवं बिन्नी बंसल देश के सौ सबसे अमीर लोगों की फेहरिस्त में शामिल हो गए. ऐसा पहली बार है, जब किसी ई-कॉमर्स कंपनी के संस्थापक को इस फेहरिस्त में जगह मिली. देश का ऐसा कौन-सा युवा है, जो सचिन एवं बिन्नी की राह पर नहीं चलना चाहता? देश के युवाओं के ऐसे ही सपनों को पंख देने के लिए भारत सरकार ने स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की है. धन और संसाधनों की कमी के चलते हर साल न जाने कितने आइडिया मूर्त रूप लेने से पहले दम तोड़ देते हैं. हो सकता है, उनमें से कई आइडिया एप्पल, फ्लिपकार्ट या ओयो जैसी किसी कंपनी का रूप ले लेते. देश के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय अब्दुल कलाम भी कहते थे कि सपने देखो और उन्हें पूरा करने की कोशिश करो. पिछले साल लाल किले के प्राचीर से देशवासियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवा भारत के लिए स्टार्टअप इंडिया नामक सपने का जिक्र किया था. अब पांच महीने बाद उनकी सरकार ने इसे मूर्त रूप दे दिया है, ताकि युवा अपने सपने पूरे कर सकें. प्रधानमंत्री देश के युवाओं से लगातार कहते रहे हैं कि वे नए आइडिया के साथ ऐसा काम शुरू करें, जो कुछ अलग हो, नया हो, एक मिसाल हो, जो आपको और देश को आगे बढ़ाता हो. देश में ज़्यादातर स्टार्टअप्स युवा उद्यमियों ने शुरू किए हैं और इसमें अब भी बहुत संभावनाएं हैं. प्रधानमंत्री की योजना इन्हीं संभावनाओं को हकीकत में बदलने की है. [Read More…]
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कितना सफल होगा स्टार्टअप इंडिया
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स्वास्थ्य बजट में कटौती : कैसे होगा स्वस्थ भारत का निर्माण
नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल का एक वर्ष पूरा कर लिया है. कहा जाता है कि किसी भी सरकार के पहले वर्ष में उसके काम करने की दशा और दिशा निर्धारित हो जाती है. नवगठित सरकार के ऊपर सबसे पहले अपने चुनावी वादे पूरे करने और चुनावी घोषणा-पत्र को अमलीजामा पहनाने का दबाव होता है, क्योंकि सरकार से लोगों की कई तरह की आशाएं जुड़ी होती हैं. एक कहावत है कि पहला सुख निरोगी काया. मोदी सरकार भले ही नई स्वास्थ्य नीति की दिशा में कार्य कर रही है, लेकिन केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए धन आवंटन में कमी से उसकी कथनी-करनी का भेद दिखाई दे जाता है. ढाई दशकों बाद केंद्र में पूर्ण बहुमत वाली सरकार के गठन के बाद आशा की गई थी कि स्वास्थ्य क्षेत्र को सरकार अपनी प्राथमिकता में रखेगी और उसमें सुधार के लिए आवश्यक एवं कड़े क़दम उठाएगी, लेकिन सरकार ने स्वास्थ्य बजट में कटौती करके सही संदेश नहीं दिया. [Read More…]
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भूमि अधिग्रहण अध्यादेश : सियासत जारी है
किसान की ज़मीन पर देश के राजनीतिक दल वोटों की फसल उगाने की पुरजोर कोशिश में जुटे हुए हैं. राजधानी दिल्ली में संसद से सड़क तक, रामलीला मैदान से जंतर-मंतर तक भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के ़िखला़फ नित नए राजनीतिक रंग दिखाई पड़ रहे हैं. सबके पास स्क्रिप्ट एक ही है, हर दिन केवल किरदार बदल रहे हैं.
राजनीतिक दल हों या ग़ैर-राजनीतिक, हर कोई केंद्र सरकार पर वर्ष 2013 के भूमि अधिग्रहण क़ानून में किए गए बदलाव वापस लेने का दबाव बनाने की कोशिश में है. ऐसी ही एक कोशिश रामलीला मैदान में कांग्रेस और जंतर-मंतर में आम आदमी पार्टी ने भी की. कांग्रेस की रैली गुटबाजी की भेंट चढ़ गई, तो आम आदमी पार्टी की रैली को किसान गजेंद्र सिंह की मौत ने कलंकित कर दिया. 19 अप्रैल को हुई कांग्रेस की रैली को किसान-खेत मज़दूर रैली नाम दिया गया था, लेकिन यह रैली पूरी तरह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अज्ञातवास के बाद राजनीतिक वापसी पर केंद्रित थी. रैली से दो दिन पहले राहुल गांधी देश वापस आए. अगले दिन उन्होंने किसानों से मुलाकात की और 19 अप्रैल को रामलीला मैदान से मोदी सरकार को वर्ष 2013 के क़ानून में बदलाव न करने देने की चुनौती दे डाली. तक़रीबन दो महीने लंबी छुट्टी के बाद लौटे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने देश भर से आए किसानों को संबोधित करते हुए उन्हें आश्वासन दिया कि वह उनकी लड़ाई लड़ेंगे. [Read More…]
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बजट 2015- स्वास्थ्य क्षेत्र को जबरदस्त झटका
नरेंद्र मोदी सरकार ने अपना पहला पूर्ण बजट पेश करते हुए देश के कुल स्वास्थ्य बजट में कटौती कर दी है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वर्ष 2015-16 के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र को कुल 33,152 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जबकि वर्ष 2014-15 में इसके लिए 39,238 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. उस बजट में भी पिछले साल दिसंबर में 20 प्रतिशत की कटौती की गई थी. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के लिए 29,653 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जबकि पिछली बार यह आवंटन 29,042 करोड़ रुपये का था. एड्स नियंत्रण विभाग के आवंटन में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि कर 1,397 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जबकि पिछली बार 1,300 करोड़ रुपये मिले थे.
ढाई दशक बाद केंद्र में पूर्ण बहुमत वाली सरकार के गठन के बाद आशा की गई थी कि स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकताओं में शामिल किया जाएगा और इसमें सुधार के लिए आवश्यक एवं कड़े क़दम उठाए जाएंगे. जहां जीडीपी की तुलना में आवंटन में वृद्धि की बातें हो रही थीं, वहां सरकार ने स्वास्थ्य बजट में कटौती करके सही संदेश नहीं दिया. हालांकि, सरकार ने पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के विकास पर ज़ोर देते हुए आयुष (आयुर्वेद, योग, नेचुरोपैथी, यूनानी और सिद्ध) के लिए अलग से 1,214 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. आयुष पिछले साल तक स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत एक विभाग था, लेकिन मोदी सरकार ने इसे एक अलग मंत्रालय बना दिया है. सरकार उपचार की इन प्राचीन पद्धतियों को जोर-शोर से प्रचारित-प्रसारित कर रही है. भारत सरकार की पहल के बाद ही संयुक्तराष्ट्र ने इसी साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया. [Read More…]