बिहार में राजनीति और अपराध का बहुत पुराना नाता रहा है. पहले यहां राजनेता बाहुबलियों के बल पर राजनीति करते थे, लेकिन समय के साथ बाहुबली भी राजनीति में आ गए. आज भी यहां बाहुबलियों को जीत की गारंटी समझा जाता है, इसलिए इस बार भी सभी दलों ने अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए बाहुबलियों को टिकट देने में किसी तरह का गुरेज नहीं किया. एनडीए हो या महागठबंधन या अन्य दल, सभी ने दिल खोलकर बाहुबलियों को टिकट दिए. सभी ने बाहुबलियों पर बड़ा दांव खेलते हुए उन्हें चुनावी मैदान में उतारा था. जहां बाहुबली स्वयं चुनावी मैदान में नहीं उतर सके, वहां उनकी पत्नी या करीबी रिश्तेदार को उम्मीदवार बनाकर चुनावी समर में उतारा गया. इस बार बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों के लिए पांच चरणों में हुए मतदान में कुल 3450 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई, जिनमें से 1038 यानी 30 फीसद उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मुक़दमे दर्ज हैं. साल 2010 में हुए विधानसभा चुनावों में 3058 उम्मीदवार मैदान में थे. जिनमें से 986 दागी थे. इसका सीधा सा मतलब यह है कि इस बार प्रत्येक दल ने दागी उम्मीदवारों पर ज्यादा भरोसा जताया. [Read More…]
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बिहार विधानसभा में बाहुबलियों की बहार
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खेलों के विकास के लिए व्यापक सोच की जरूरत : पुलेला गोपीचंद
रियो ओलंपिक मजह छह-सात महीने दूर हैं, बतौर बैंडमिंटन के राष्ट्रीय कोच आपको भारत के कैसे प्रदर्शन की आशा है?
अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन जिस तरह का प्रदर्शन भारतीय खिलाड़ी विभिन्न प्रतियोगिताओं में कर रहे हैं, उससे लगता है कि ओलंपिक में बड़ा भारतीय दल भाग लेगा. एक बार खिलाड़ी ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लें, उसके बाद हम खिलाड़ियों के आधार पर ओलंपिक के लिए तैयारियां कर सकेंगे. [Read More…]
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रियो ओलंपिक में बैडमिंटन एक से ज्यादा पदक जीतेगा भारत : मधुमिता बिष्ट
पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी मधुमिता बिष्ट आज भारत की नेशनल बैडमिंटन कोच हैं. मधुमिता ने अपने करियर में आठ एकल, नौ युगल और 12 मिक्स डबल्स खिताब जीते. आज वह भारत की युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन कर रही हैं. सायना नेहवाल, पीवी संधु और अन्य खिलाड़ी उनके और गोपीचंद के दिशानिर्देश में सफलता की बुलदियों को छू रहे हैं. इंडियन बैडमिंटन लीग के दूसरे संस्करण की घोषणा के मौके पर उन्होंने चौथी दुनिया संवाददाता नवीन चौहान से भारतीय बैडमिंटन के विभिन्न पहलुओं पर बात की…प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश.
- भारत के रियो ओलंपिक में बैडमिंटन में पदक जीतने की संभावनायें कितनी प्रबल हैं?
बहुत प्रबल हैं, आप देखिए खिलाड़ियों के खेल में बहुत सुधार आया है. खिलाड़ियों की काबिलियत और प्रदर्शन को देखते हुए हम निश्चित तौर पर ज्यादा पदकों की आशा कर रहे हैं. हमारे खिलाड़ी अब दुनिया के टॉप प्लेयर्स को हरा रहे हैं. पीवी सिंधू ने विश्व की नंबर एक खिलाड़ी कैरोलीना मारीन को हराया. पिछली ओलंपिक चैंपियन ल्यू ज्यूरी को वर्ल्ड चैंपियनशिप में हराया, एचएस प्रणय ने लिन डेन को हराया, ऐसा किदंबी श्रीकांत ने भी किया. साइन लगातार ऐसा कर रही हैं. ओलंपिक के लिए खिलाड़ियों को क्वालीफाई करना होता है, जबकि सुपर सीरीज में जगह बनाना उससे ज्यादा कठिन है. सुपर सीरीज में खेलने के लिए आपको वर्ल्ड रैंकिंग में टॉप पर रहना होता है, इसलिए मुझे महसूस होता है कि हमारे खिलाड़ी ओलंपिक में पदक जीतने में सक्षम हैं. इसलिए हम इस बार ज्यादा पदक जीतने की आशा कर रहे हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि हम ऐसा कर पाएंगे. लेकिन बहुत सी चीजें ड्रॉ पर भी निर्भर करती हैं, दूसरा आपके खेल पर सब कुछ निर्भर होता है. मानसिक और शारीरिक तौर पर आप कितने फिट हैं इसका भी हार-जीत पर असर पड़ता है. [Read More…]
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भारत-नेपाल सीमा पर नाका-बंदी : नेपाल कहीं चीन की गोद में न बैठ जाए
नेपाल में 20 सितंबर को नया संविधान लागू होने के बाद भारत से उसके रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं. ऐसे में, सवाल उठ रहे हैं क्या नेपाल पर चीन का असर बढ़ेगा. नेपाल को भारत का सबसे करीबी देश माना जाता रहा है, लेकिन जबसे नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना हुई है, तब से वहां भारत के प्रति अविश्वास की भावना प्रबल होती चली गई. इस मौके का फायदा चीन ने बखूबी उठाया और वहां अपनी जड़ें मजबूत करने का हर संभव प्रयास किया. वह अपनी कोशिशों में काफी हद तक सफल भी रहा. हालांकि भारत ने नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना का समर्थन किया था, लेकिन उसका यह निर्णय उसके लिए परेशानी का सबब बन गया है. वाम दलों के वहां की सत्ता में आने के बाद माओवादियों का झुकाव चीन की तरफ ज्यादा हो गया. भारत ने इसे साधने की हर संभव कोशिश की लेकिन परिस्थितियां भारत के विपरीत ही होती चली गईं. संविधान के विरोध में मधेसियों के आंदोलन की वजह से भारत से नेपाल होने वाले सामान की आवाजाही पर रोक लग गई है. इससे वहां की जनता परेशान हो गई है. इसके बाद वहां की स्थानीय मीडिया में खबरें आ रही हैं कि चीन नेपाल की आपात मदद करने की तैयारी में है. नेपाल में एक समुदाय भारत का विरोधी है और दूसरा चीन का. [Read More…]
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ज़हीर ख़ान का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास : क़ाबिलियत पर भारी चोटें
तेज गेंदबाज जहीर खान ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया. बाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज़ ने लंबे समय तक भारतीय आक्रमण की बागडोर संभाली. वह पिछले कुछ समय से फिटनेस की समस्या से जूझ रहे थे. इस वजह से उन्हें टीम इंडिया से बाहर रखा गया था. खान ने आखिरी टेस्ट फरवरी, 2014 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला था, वहीं आखिरी वनडे अगस्त, 2012 में श्रीलंका के खिलाफ पल्लीकल में खेला था. उसके बाद वे टीम इंडिया में वापसी नहीं कर सके. हालांकि इस बीच 2015 में उन्होंने आईपीएल में वापसी की, लेकिन उनकी गेंदबाजी में वह धार नहीं दिखी जिसके लिए वह जाने जाते हैं. उन्होंने टीम इंडिया की ओर से कुल 92 टेस्ट मैच खेले और 311 विकेट हासिल किए, जबकि 200 वनडे मैचों में 282 विकेट लिए. इसके अलावा 17 अंतरराष्ट्रीय टी-20 मैचों में 17 विकेट लिए. [Read More…]
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सहवाग जैसे क्रिकेटर बनते नहीं, पैदा होते हैं
अटकलों और अफवाहों के दौर के बाद नज़फगढ़ के नवाब और मुल्तान के सुल्तान के नाम से मशहूर भारतीय बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया. अपने 37 वें जन्मदिन के मौके पर संन्यास की घोषणा करते हुए सहवाग ने कहा कि भारत के लिए खेलना एक यादगार सफ़र रहा है और मैंने इसे साथी खिलाड़ियों और भारतीय क्रिकेट फैंस के लिए और यादगार बनाने की कोशिश की. मुझे लगता है कि ऐसा करने में मैं कुछ हद तक कामयाब रहा. अपने बयान के आखिर में सहवाग ने कहा, मैं उन सभी लोगों का भी शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जिन्होंने बीते सालों में क्रिकेट के बारे में मुझे सलाह दी. मैं ज्यादातर सलाह को न मानने के लिए माफ़ी चाहता हूं. मेरे पास सलाह ना मानने का एक कारण था, मैं अपने तरीक़े से खेल रहा था. निःसंदेह सहवाग ने ऐसा ही किया. [Read More…]