अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमी-फाइनल समझे जा रहे पश्चिम बंगाल नगर निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने एक बार परचम लहरा दिया है. इस जीत से तृणमूल कांगे्रस ने अपने विरोधियों को संदेश दिया है कि राज्य की सत्ता से उसे बेदखल करना आसान नहीं है. ऐतिहासिक जीत के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि तृणमूूल की जीत उन प्रतिद्वंद्वी ताकतों के लिए करारा जवाब है, जो उनकी और पार्टी की छवि खराब करने का अभियान चला रही हैं. लेकिन, वामदलों ने ममता बनर्जी के इस दावे को यह कहकर नकार दिया कि चुनावी नतीजे जनता की सही राय व्यक्त नहीं करते, क्योंकि इस चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली और हिंसा हुई है, मतदाताओं को मतदान करने से रोका गया है. [Read More…]
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पश्चिम बंगाल का निकाय चुनाव : ममता का जादू बरकरार
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भूमि अधिग्रहण अध्यादेश : सियासत जारी है
किसान की ज़मीन पर देश के राजनीतिक दल वोटों की फसल उगाने की पुरजोर कोशिश में जुटे हुए हैं. राजधानी दिल्ली में संसद से सड़क तक, रामलीला मैदान से जंतर-मंतर तक भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के ़िखला़फ नित नए राजनीतिक रंग दिखाई पड़ रहे हैं. सबके पास स्क्रिप्ट एक ही है, हर दिन केवल किरदार बदल रहे हैं.
राजनीतिक दल हों या ग़ैर-राजनीतिक, हर कोई केंद्र सरकार पर वर्ष 2013 के भूमि अधिग्रहण क़ानून में किए गए बदलाव वापस लेने का दबाव बनाने की कोशिश में है. ऐसी ही एक कोशिश रामलीला मैदान में कांग्रेस और जंतर-मंतर में आम आदमी पार्टी ने भी की. कांग्रेस की रैली गुटबाजी की भेंट चढ़ गई, तो आम आदमी पार्टी की रैली को किसान गजेंद्र सिंह की मौत ने कलंकित कर दिया. 19 अप्रैल को हुई कांग्रेस की रैली को किसान-खेत मज़दूर रैली नाम दिया गया था, लेकिन यह रैली पूरी तरह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अज्ञातवास के बाद राजनीतिक वापसी पर केंद्रित थी. रैली से दो दिन पहले राहुल गांधी देश वापस आए. अगले दिन उन्होंने किसानों से मुलाकात की और 19 अप्रैल को रामलीला मैदान से मोदी सरकार को वर्ष 2013 के क़ानून में बदलाव न करने देने की चुनौती दे डाली. तक़रीबन दो महीने लंबी छुट्टी के बाद लौटे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने देश भर से आए किसानों को संबोधित करते हुए उन्हें आश्वासन दिया कि वह उनकी लड़ाई लड़ेंगे. [Read More…]