ऑस्ट्रेलिया ने विश्व क्रिकेट को सर डॉन ब्रैडमैन से लेकर रिकी पांटिंग तक कई महान खिलाड़ी दिए हैं. ऑस्ट्रेलिया के नई पीढ़ी के क्रिकेटरों में से एक स्टीव स्मिथ भी उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, आज वह दुनिया के नंबर एक टेस्ट बल्लेबाज भी बन गए हैं.
ऑस्ट्रेलिया के भावी कप्तान स्टीव स्मिथ हर दिन सफलता के शिखर पर चढ़ते जा रहे हैं. साल 2010 में एक स्पिन गेंदबाज के रूप में लॉर्डस के ऐतिहासिक मैदान पर पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट पदार्पण करने वाले स्टीव आज ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट का सबसे चमकता सितारा हैं. एक औसत दर्जे का स्पिन गेंदबाज अचानक से ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम की बल्लेबाजी रीढ़ बन जायेगा, ऐसा किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था. उनके नाम जितने टेस्ट विकेट(15) हैं उससे ज्यादा शतक और अर्धशतक हैं. इस तरह की अनहोनी कोई सुपरमैन ही कर सकता है. अपने पदार्पण टेस्ट मैच में वह आठवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरे थे और दो पारियों में 8 और 12 रन बनाये थे. मैच की पहली पारी में उन्हें गेंदबाजी का मौका नहीं मिला था लेकिन दूसरी पारी में वह 3 विकेट लेने में सफल हुए थे. करियर की शुरूआत स्टीव ने जीत के साथ की थी. इसके बाद सीरीज के दूसरे टेस्ट मैच की दूसरी पारी में उन्होंने 77 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली थी और ऑस्ट्रेलिया को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया था. पहली पारी में ऑस्ट्रेलियाई टीम महज 88 रनों पर ढ़ेर हो गई थी. साल 2010-11 में उन्हें ऐशेज सीरीज के दौरान तीन टेस्ट खेलने का मौका मिला था. लेकिन इस बार उन्हें टीम में बतौर बल्लेबाज जगह दी गई थी, उन्होंने इस बार छठवें नंबर पर बल्लेबाजी की. सीरीज में उनका प्रदर्शन बेहतरीन रहा और उन्होंने दो अर्धशतक लगाये. इसके बाद अगले 2 साल तक स्मिथ को टेस्ट टीम में जगह नहीं मिल सकी. तीन साल के अंतराल में वह केवल पांच टेस्ट खेल सके थे. साल 2013 के भारत दौरे के लिए उन्हें टीम में शामिल किया गया. यह दौरा उनके करियर का अहम पड़ाव साबित हुआ. मोहाली में खेले गए सीरीज के पहले टेस्ट मैच में स्मिथ ने 92 रनों की पारी खेली. इसके बाद स्मिथ टीम ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम के नियमित सदस्य बन गए और एक विशुद्ध बल्लेबाज के रूप में खेलने लगे. 2013 की ऐशेज के आखिरी टेस्ट में उन्हें करियर का पहला टेस्ट शतक बनाने में कामयाबी मिली, इसके बाद स्मिथ ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. छोटे से करियर में जिन ऊंचाइयों को स्मिथ ने छुआ है वह काबिले तारीफ है. इसी वजह से आज वह आईसीसी रैंकिंग में पहले पायदान पर पहुंचने में सफल हुए हैं.
स्टीव स्मिथ जैसा कारनामा दो दशक पहले श्रीलंका के खब्बू बल्लेबाज सनथ जयसूर्या भी कर चुके हैं. एक स्पिन गेंदबाज के रूप में क्रिकेट करियर की शुरूआत करने वाले सनथ जयसूर्या ने 1996 के विश्वकप में धमाका कर दिया था. श्रीलंका को विश्व चैंपियन का खिताब दिलाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले जयसूर्या को विश्व कप का मैन ऑफ द सीरीज चुना गया था. इसके बाद उनके खेल का तरीका ही बदल गया. उन्होंने क्रिकेट के अनगिनत कीर्तिमान अपने नाम किए थे. स्टीव जयसूर्या के दौर की ही याद दिलाते हैं, भले ही उनकी बल्लेबाजी का तरीका जयसूर्या से जुदा है, लेकिन रन बनाने के मामले में वह उनसे कतई पीछे नहीं है. हमवतन स्टीव वॉ ने भी अपने करियर की शुरूआत बतौर गेंदबाज ही की थी, लेकिन समय के साथ वह भी एक बेहतरीन बल्लेबाज बनकर उभरे थे. आज उन्हीं के नक्शेकदम पर स्मिथ चल रहे हैं.
अन्य ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों की तरह आक्रामकता स्टीव का रग-रग में भरी है लेकिन वह इस आक्रामकता का इजहार बल्लेबाजी से करते हैं. वे न तो आसानी से हार मानते हैं और न ही अपने प्रतिद्वंदियों को कोई मौका देेते हैं. पिछले साल स्टीव स्मिथ ने बेहतरीन बल्लेबाजी का मुजाहिरा पेश किया. भारत के खिलाफ विश्व कप से पहले खेली गई टेस्ट सीरीज उनके करियर का सबसे अहम मोड़ साबित हुई. पहले तो उन्हें टीम का उप कप्तान बनाया गया. लेकिन माइकल क्लार्क के घायल होने के बाद सीरीज के बाकी तीन टेस्ट मैचों के लिए उन्हें कार्यवाहक कप्तान बना दिया गया. हाथ आए मौके का भरपूर फायदा उठाते हुए स्मिथ ने टीम का नेतृत्व सामने से किया. उनके खिलाफ भारतीय गेंदबाज पूरी तरह असहाय नज़र आये. पूरा सीजन उनके नाम रहा. स्मिथ ने सीरीज में खेले गए चार टेस्ट मैचों में 128 की औसत से 769 रन बनाये. जिसमें चार शतक शामिल थे. भारत के खिलाफ सफलता के झंडे गाड़ने के बाद उनका शानदार फॉर्म विश्व कप में भी जारी रहा. उन्होंने विश्व कप में आठ मैचों में 67 की औसत से 402 रन बनाये और ऑस्ट्रेलिया को पांचवीं बार विश्व विजेता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.
विश्वकप के बाद वेस्टइंडीज दौरे पर भी स्टीव का बेहतरीन फॉर्म जारी रहा. उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ किंग्सटन में खेले गए सीरीज के दूसरे टेस्ट मैच में 199 और 54 रनों की शानदार पारी खेली. इसके बाद आधिकारिक रूप से आईसीसी रैंकिंग में कुमार संगकारा को पीछे छोड़ दुनिया के नंबर एक टेस्ट बल्लेबाज बन गए. आईसीसी रैंकिंग में नंबर एक पर पहुंचने वाले वह दूसरे सबसे युवा खिलाड़ी हैं. सबसे कम उम्र में आईसीसी रैंकिंग में नंबर एक पोजिशन पर सचिन तेंदुलकर पहुंचे थे. सचिन ने यह उपलब्धि 25 साल 279 दिनों में हासिल की थी, जबकि स्मिथ को यह उपलब्धि हासिल करने में 26 साल, 12 दिन का समय लिया. स्मिथ की यह उपलब्धि उन लोगों का मुंह बंद करने के लिए काफी है जो उन्हें उनके पिछले सीजन के प्रदर्शन के आधार पर दुनिया का नंबर एक बल्लेबाज मानने से कतरा रहे थे. वह वर्ष 2012 के बाद आईसीसी रैंकिग में पहले पायदान पर पहुंचने वाले पहले ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज हैं. उनसे पहले माइकल क्लार्क साल 2012 में टेस्ट रैंकिंग में पहले स्थान पर पहुंचे थे.
ऑस्ट्रेलिया में जिस खिलाड़ी को टीम का उप-कप्तान बनाया जाता है, उसमें भविष्य का कप्तान देखा जाता है. स्मिथ भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भी इस परीक्षा में सफल रहे. उन्होंने तीन टेस्ट में कप्तानी की. बतौर कप्तान अपने पहले टेस्ट मैच में स्मिथ ने शतक भी बनाया और जीत भी हासिल की. स्मिथ से पहले ऑस्ट्रेलिया के उप-कप्तान की जिम्मेदारी ब्रैड हैडिन के पास थी, लेकिन कप्तान के रूप ऑस्ट्रेलियाई चयनकर्ताओं ने 37 वर्षीय हैडिन की जगह 25 बरस के स्मिथ पर भरोसा जताया. वह किम ह्यूज के बाद ऑस्ट्रेलिया के सबसे युवा कप्तान हैं. किम ने वर्ष 1979 में 25 बरस 57 दिन की उम्र में ऑस्ट्रेलियाई टीम की कप्तानी संभाली थी. स्टीव स्मिथ ने माइकल क्लार्क की अनुपस्थिति में टेस्ट में और जॉर्ज बेली की अनुपस्थिति में वन-डे मैच में बतौर कप्तान पहले ही मैच में शतक लगाने का अनोखा रिकॉर्ड स्थापितकिया. इसके अलावा उन्होंने चार टेस्ट मैचों में चार शतक लगाने का अनोखा कारनामा भी कर दिखाया. जिनमें से तीन शतक बतौर कप्तान बनाये थे, ऐसा करने वाले वह पहले ऑस्ट्रेलियाई कप्तान हैं.
पिछले छह टेस्ट मैचों में दायें हाथ का यह बल्लेबाज पांच शतक और तीन अर्धशतक बना चुका है. पिछली बारह टेस्ट पारियों में उनका औसत 131.5 रहा है. स्मिथ अब तक 28 टेस्ट मैचों की 54 पारियों में 56.23 की औसत से 2,587 रन बना चुके हैं, जिसमें 9 शतक और 11 शतक शामिल हैं. अब वह ऑस्ट्रेलिया के लिए नंबर तीन पर बल्लेबाजी करते हैं. उन्हें टेस्ट टीम में जगह दिलाने वाली गेंदबाजी कहीं पीछे छूट गई है. वेस्टइंडीज में नंबर तीन पर बल्लेबाजी करते हुए रोक पाना लगभग नामुमकिन था. ऑस्ट्रेलिया के इस भावी कप्तान ने अपनी सफलता का श्रेय हमेशा शांतचित रहने और मैदान-ए-जंग के लिये हमेशा तैयार रहने को दिया है. धैर्य और तैयारी स्मिथ की सफलता का केंद्र बिंदु है, वह हर मैच के लिए तकरीबन एक जैसी तैयारी करते हैं और अधिकांशतः अपने मजबूत पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं. साल 2014 में स्टीव स्मिथ विरोधी टीमों के लिए सबसे कीमती विकेट थे. इस साल उन्होंने 81.86 की औसत से 1,146 रन बनाये. साल 2014 के प्रदर्शन के लिए उन्हें ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित क्रिकेट पुरस्कार एलन बॉर्डर मेडल से सम्मानित किया गया.
एकदिवसीय करियर की शुरूआत स्मिथ ने साल 2010 में मेलबर्न में वेस्टइंडीज के खिलाफ की थी. अपने पदार्पण मैच में स्टीव को बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला था, लेकिन गेंदबाजी में उन्होंने 9.5 ओवर में 78 रन देकर 2 विकेट लिए थे. अपने पहले एकदिवसीय शतक के लिए स्टीव को 39 वें मैच तक इंतजार करना पड़ा. साल 2014 में शारजाह में स्मिथ ने अपना पहला एक दिवसीय शतक लगाया. अब तक वह 58 एकदिवसीय मैच खेल चुके हैं, जिसमें उन्होंने 40.76 की औसत से 1549 रन बनाये हैं. जिसमें 4 शतक और 7 अर्धशतक शामिल हैं. साथ ही उन्होंने 27 विकेट भी लिए हैं. स्टीव ने अंतराष्ट्रीय करियर में 13 शतक लगाये हैं. इनमें से एक भी मैच ऑस्ट्रेलियाई टीम नहीं हारी है. वह अपारंपरिक रूप से बल्लेबाजी करते हैं, वह खेल के दौरान पिच पर चहल कदमी करते रहते हैं. उनके खेल का तरीका कुछ-कुछ वेस्टइंडीज के शिवनारायण चंद्रपॉल से मिलता है. भले ही स्मिथ तकनीकी रूप से परिपक्व खिलाड़ी नहीं हैं लेकिन अपने बेहतरीन फुटवर्क, हैंड-आई कॉर्डिनेशन से इसकी भरपाई कर देते हैं. शुरूआत में उन्हें सीमित ओवरों का खिलाड़ी समझा जाता था लेकिन अब वह बेहतरीन टेस्ट खिलाड़ी के रूप में स्थापित हो चुके हैं. 25 साल की उम्र में ही विश्व चैंपियन का खिताब उनके सिर पर सज चुका है. ऐसे में उनके पास खोने को कुछ नहीं है, स्टीव स्मिथ एक महान खिलाड़ी बनने की राह पर हैं. ऐसे में अगले एक दशक दशक तक वह दुनिया भर के गेंदबाजों के लिए चुनौती बने रहेंगे.
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