रियो ओलंपिक के आयोजन में एक साल से भी कम का समय बचा है, लंदन ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 6 पदकों पर कब्जा किया था. इसके बाद सरकार ने खेलों और खिलाड़ियों पर विशेष ध्यान देने की बात कही थी, लेकिन जैसे जैसे ओलंपिक खेल करीब आ रहे हैं एथलीटों के प्रदर्शन को देखकर ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि निश्चित तौर पर भारतीय एथलीट रियो ओलंपिक में कम से कम दो पदक भारत की झोली में डालेंगे और कई दशकों से चले आ रहे पदकों के सूखे को खत्म करेंगे. गौरतलब हो कि आज तक भारत ओलंपिक की एथलेटिक्स स्पर्धाओं में एक भी पदक नहीं जीत सका है. हाल ही में चीन की राजधानी बीजिंग में आयोजित 15 वीं विश्व चैंपियनशिप में भारतीय खिलाड़ियों के लिए बेहद निराशाजनक साबित हुए.
चीन की राजधानी बीजिंग के बड्र्स नेस्ट स्टेडियम में 22 से 30 अगस्त के बीच आयोजित 15वीं विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप(आईएएएफ) आयोजित हुई. इसमें भाग लेने गया 17 सदस्यीय भारतीय दल एक बार फिर खाली हाथ लौटा. दो साल के अंतराल में आयोजित होने वाली इस स्पर्धा में ओलंपिक से पहले हर खिलाड़ी के पास अपनी क्षमता और तैयारियों के आकलन करने का यह सर्वश्रेष्ठ और आखिरी मौक़ा था.जिसमें पूरी दुनिया के एथलीट एकसाथ भाग लेते हैं. इस मौके को भारतीय खिलाड़ियों ने एक बार फिर गंवा दिया. बीजिंग गए भारतीय दल में 10 महिला और 7 पुरुष खिलाड़ी शामिल थे. जिन्होंने 9 स्पर्धाओं में भारतीय चुनौती पेश की थी.एशियन चैंपियन इंद्रजीत सिंह(शार्टपुट)और विकास गौड़ा(डिस्कस थ्रो) भारतीय दल के सबसे जाने माने नाम थे.इन दोनों से पदक जीतने की सबसे ज्यादा आशायें थीं लेकिन दोनों ही खिलाड़ियों ने निराश किया.
पदक के दावेदारों में से एक रहे इंद्रजीत सिंह ने इस साल जिन प्रतियोगिताओं में भाग लिया है उनमें उन्हें जीत हासिल हुई थी. साल 2015 में वह विभिन्न स्पर्धाओं में आठ स्वर्ण पदक जीत चुके हैं, लेकिन विश्व चैंपियनशिप में वह अपनी जीत का सिलसिला बरकरारा नहीं रख पाये. उन्हें 11 वें स्थान से संतोष करना पड़ा. इंद्रजीत ने क्वालीफिकेशन राउंड में 20.47 मी दूरी तक गोला फेंका लेकिन फाइनल राउंड में वह केवल 19.52 मी. तक ही गोला फेंक सके. ऐसे तो इंद्रजीत पहले ही रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं, यहां उन्हें बिना किसी चिंता के गोला फेंकना था और ओलंपिक से पहले अपनी तैयारियों को पुख्ता करना था लेकिन वह पदक तक पहुंचने में नाकामयाब रहे. लंदन ओलंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले विकास गौड़ा विश्व चैंपियनशिप में भारतीय पदक की सबसे बड़ी आशा थे लेकिन वह भी अपने फॉर्म में नहीं दिखाई दिए. क्वालीफिकेशन राउंड में उन्होंने 63.86 मी. दूरी तक चक्का फेंका लेकिन फाइनल राउंड में वह क्वालीफिकेशन राउंड से डेढ़ मीटर कम(62.24 मी.) दूरी तक ही चक्का फेंक सके और उन्हेें 9वें स्थान से संतोष करना पड़ा.
महिलाओं में पीटी ऊषा की शिष्या टिंटू लूका भी पदक के उम्मीदवारों में से एक थीं. लूका 800 मी दौड़ स्पर्धा की हीट में सातवें स्थान पर रहीं और सेमी-फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकीं. लूका ने सत्र का अपना सर्वश्रेष्ठ समय निकालते हुए दौड़ 2.00.95 मिनट में पूरी की और रियो ओलंपिक का अपना टिकट पक्का किया.
ललिता शिवाजी बाबर ने 3000 मी स्टिपलचेज स्पर्धा की हीट स्पर्धा 9 मिनट 27.86 सेकेंड का समय निकालकर चौथा स्थान हासिल किया और नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित किया. इसके बाद फाइनल मुक़ाबले में उन्होंने भरसक प्रयास किया और 9 मिनट 29.64 सेकेंड का समय निकालकर आठवें स्थान पर रहीं. ललिता बाबर पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने विश्व चैंपियनशिप में 3000 मी. स्टीपलचेज के फाइनल में जगह के लिए क्वालीफाई किया, फाइनल में उनका प्रदर्शन सराहनीय रहा लेकिन वह पदक जीतने के लिए नाकाफी था. भारत की 4 गुणा 400 महिला रिले टीम भी अपना कारनामा नहीं दिखा सकी. हीट में टीम 3 मिनट 29.08 सेकेंड के साथ फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकीं.
इस प्रतियोगिता से एक बात तो निकलकर सामने आती है कि भारतीय खिलाड़ी बड़ी प्रतियोगिताओं के लिए शारीरिक रूप से तो तैयार होते हैं लेकिन मानसिक रूप से वे तैयार नहीं हैं, जिन खिलाड़ियों से ओलंपिक में पदक की आशा की जा रही है, वह फाइनल तक तो पहुंच जाते हैं लेकिन वहां वह दबाव सहन नहीं कर पाते हैं, ऐसा ही इंद्रजीत और विकास के प्रदर्शन में देखने को मिला. खिलाड़ियों से अपेक्षा की जाती है कि खिलाड़ी फाइनल में अपने प्रदर्शन को ऊपर उठाकर सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करेंगे. खिलाड़ियों के लिए मनोचिकित्सक मुहैया कराये जाने चाहिए. ताकि वे अपने प्रदर्शन में सुधार कर सकें.
खेल संस्थानों के पास ओलंपिक खेलों को छोड़कर अन्य खेलों के लिए कोई प्लान नहीं है, भारत सरकार टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम के अंतर्गत 19 एथलीटों को शामिल किया है, कुछ और खिलाड़ियों को इस स्कीम में शामिल किए जाने की योजना है. केवल इतना करने से ही सरकार की जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती है. उसे खिलाड़ियों को तैयार करने के लिए जमीनी स्तर पर काम करना होगा. जिस तरह 15 वीं विश्वचैंपियनशिप में पहले और दूसरे स्थान पर कीनिया और जमैका जैसे देश हैं जिनकी आर्थिक स्थिति भारत से बेहतर नहीं है लेकिन उनके एथलीट आज विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन से कहीं आगे नज़र आती है. विश्व चैंपियनशिप की पदक तालिका में क्रमशः तीसरे और ग्यारहवें स्थान पर हैं, ऐसे में भारत को ऐसे देशों से प्रेरणा लेकर अपनी स्थित सुदृढ़ करनी होगी, ताकि भारत को दुनिया के खेल के नक्शे में पहचान मिल सके.
अबतक रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले भारतीय एथलीट
गोला फेंक-1 (इंदरजीत सिंह)
चक्का फेंक- 1( विकास गौड़ा)
पुरुषों की 20 किमी पैदल चाल- 3 कोटा स्थान
पुरुषों की 50 किमी पैदल चाल-2 कोटा स्थान (संदीप कुमार, मनीष सिंह)
महिलाओं की 800 मी दौड़-1 कोटा स्थान(टिंटू लूका)
महिलाओं की 3000 मी स्टीपल चेज-1 कोटा प्लेस( ललिता बाबर)
महिलाओं की मैराथन- 3 कोटा प्लेस(ओ पी जैशा, ललिता बाबर, सुधा सिंह)
महिलाओं की 20 किमी चाल-1 कोटा प्लेस( खुशबीर कौर)
आईएएफ विश्व चैंपियनशिप बीजिंग-2015
पदक तालिका
रैंक देश स्वर्ण रजत कांस्य कुल
1 कीनिया 7 6 3 16
2 जमैका 7 2 3 12
3 अमेरिका 6 6 6 18
4 ग्रेट ब्रिटेन 4 1 2 07
5 इथोपिया 3 3 2 08
6 पोलैंड 3 1 4 08
7 कनॉडा 2 3 3 08
7 जर्मनी 2 3 3 08
9 रूस 2 1 1 04
10 क्यूबा 2 1 0 03
11 चीन 1 7 1 09
- विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप से खाली हाथ लौटा भारत.
- कीनिया पहली बार पदक तालिका में पहले स्थान पर रहा. (7 स्वर्ण,6 रजत, 2 कांस्य), जमैका दूसरे स्थान पर रहा.
- सबसे ज्यादा पदक(18) अमेरिका ने जीते.
- मेजबान चीन पदक तालिका में 11 वें स्थान पर रहा, जबकि 2013 में वह 9वें स्थान पर था.
- 205 देशों के खिलाड़ियों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया था.
- कोसोवो ने नया देश बनने के बाद पहली बार भाग लिया.
- दक्षिणी सूडान भी पहली बार शामिल हुआ लेकिन उनका एक मात्र खिलाड़ी मैदान पर नहीं उतरा.
Leave a Reply