आईपीएल में अब तक देखने में आया है कि वह सफलता की ओर एक कदम आगे बढ़ता है लेकिन विवादों की वजह से दो कदम पीछे आ जाता है. एक बार फिर देखने में आया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा समिति ने स्पॉट फिक्ंिसग मामले में अपना फैसला सुनाते हुए आईपीएल की दो दिग्गज टीमों चेन्नई सुपर किंग्स(सीएसके) और राजस्थान रॉयल्स(आरआर) को दो साल के लिए निलंबित कर दिया है. वहीं सीएसके के पूर्व ऑफीशियल और पूर्व बीसीसीआई प्रमुख एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मैयप्पन एवं राजस्थान रॉयल्स टीम के सह-मालिक राज कुंद्रा पर समिति ने आजीवन प्रतिबंध लगा दिया है.
उच्चतम न्यायालय ने इस साल जनवरी में लोढ़ा समिति का गठन किया था ताकि यह तय किया जा सके कि मयप्पन, कुंद्रा और दो फ्रेंचाइजी, सीएसके की मालिक कंपनी इंडिया सीमेंट लिमिटेड और राजस्थान रायल्स की मालिक जयपुर आईपीएल को कितनी सजा दी जाए. लोढ़ा समिति के इस फैसले के बाद आईपीएल के भविष्य को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं. फैसला सुनाते हुए पूर्व मुख्य न्यायाधीश एम एल लोढ़ा ने कहा कि इंडिया सीमेंट्स और चेन्नई सुपरकिंग्स की हरकतों की वजह से खेल की पवित्रता प्रभावित हुई है. इन फ्रेंचाइजियों ने प्रशंसकों के साथ धोखा किया है. खेल की पवित्रता सर्वोपरि होनी चाहिए. फ्रेंचाइजियों ने नियमों के साथ खिलवाड़ किया और टीमों को बपौती मानकर मनमाने तरीके से चलाने की कोशिश की. इसका खामियाजा खिलाड़ियों, खेल प्रशंसकों और खेल तीनों को पहुंचा है. खिलाड़ी खेलते रहेंगे, बीसीसीआई पैसा कमाती रहेगी, लेकिन प्रशंसकों का जो विश्वास खोया है उसे वापस ला पाना बेहद मुश्किल नज़र आता है. इसलिए इस तरह के कड़े निर्णय लेने की जरूरत है. कहने को तो टीमों पर बैन लगा है खिलाड़ियों पर नहीं, लेकिन अभी उन 13 खिलाड़ियों वाले सील बंद लिफाफे का खुलना भी बाकी है जो मुदगल समिति ने जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट में जमा करावाया था. गैर-आधिकारिक रूप से उन 13 नामों में से कई नामों का जिक्र हो चुका है लेकिन उन पर क्या कार्रवाई होती है यह देखना भी जरूरी है.
लोढ़ा कमेटी के फैसले के बाद सवाल आईपीएल के भविष्य को लेकर भी उठने लगे हैं. यदि आईपीएल का भविष्य सुरक्षित है तो इन दोनों टीमों के लिए खेलने वाले खिलाड़ियों का क्या होगा. दो साल बाद जब इन दोनों टीम की आईपीएल में वापसी होगी, तब कौन से खिलाड़ी इन टीमों के लिए खेलेंगे. जब न्यायमूर्ति लोढ़ा से बैन की गई टीमों के खिलाड़ियों के बारे में सवाल किया गया कि क्या समिति ने इस पहलू पर विचार किया है, तो उन्होंने कहा कि खेल व्यक्तियों से बड़ा होता है. यदि क्रिकेट व्यक्तियों से बड़ा है तो खिलाड़ियों और फ्रेंचाइजी को होने वाला वित्तीय नुकसान महत्वपूर्ण नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने 22 जनवरी के अपने फैसले में साफ तौर पर कहा था कि लोढ़ा समिति का आदेश बीसीसीआई और संबंधित पक्षों के लिए अंतिम और बाध्यकारी होगा. पीड़ित पक्ष जस्टिस टीएस ठाकुर की सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने अपील कर सकते हैं. इसी बेंच ने जनवरी में फैसला सुनाया था. सीएसके की मालिक इंडिया सीमेंट्स ने समिति के फैसले को चुनौती देने की घोषणा भी कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा समिति को तीन काम दिए थे. उनमें से सिर्फ एक काम पूरा हुआ है. मयप्पन, कुंद्रा, सीएसके और राजस्थान रॉयल्स को सजा सुनाने का. तत्कालीन सीईओ सुंदर राजन की भूमिका और बीसीसीआई की सफाई की सिफारिशों पर समिति अभी काम करती रहेगी. आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी ने लोढ़ा समिति के इस फैसले का स्वागत किया है. आईपीएल-6 के स्पॉट फिक्सिंग मामले में लोढ़ा समिति द्वारा की गई कार्रवाई को एक ईमानदार निर्णय बताया है और इसे भारतीय क्रिकेट के लिए न्याय की संज्ञा दी है. उन्होंने कहा कि इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि भारतीय क्रिकेट के इतिहास में पहला ईमानदार फैसला आया है. लोढ़ा समिति की रिपोर्ट इस दिशा में पहला कदम है. यह अभी समाप्त नहीं हुआ है इसे एक नई शुरूआत के रूप में लेना चाहिए. ललित मोदी ने हालांकि टीमों के दो वर्ष के निलंबन को मामूली सजा बताते हुए कहा कि उन्हें हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर देना चाहिए था. इस पूरे प्रकरण से लीग और खेल की छवि को नुक्सान पहुंचा है. टीमें यह कहकर नहीं बच सकतीं कि दोनों दोषियों ने व्यक्तिगत तौर पर काम किए. लोढ़ा समिति द्वारा किए गए निर्णय को कठोर माना जा रहा है लेकिन हकीकत में कमेटी ने टीमों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की है. हालांकि समिति ने जो कदम उठाए हैं वो नियमों के हिसाब से बहुत कम हैं आईपीएल के ओपरेशन रूल्स के मुताबिक यदि किसी फ्रेंचाइज़ी के अधिकारी किसी भी तरह की गलत गतिविधि में लिप्त पाए जाते हैं तो टीम को हमेशा के लिए प्रतियोगिता से बाहर किया जा सकता है. इस पूरे मसले पर महेंद्र सिंह धोनी की भूमिका पर भी सवाल उठते हैं, हालांकि कमेटी ने उनके संबंध में कुछ नहीं कहा है लेकिन धोनी ने मैय्यप्पन के संबंध में मुदगल समिति के समक्ष बयान दिया था कि मयप्पन क्रिकेट के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते थे वह केवल खेल उत्साही सख्श थे. ऐसा संभव नहीं है क्योंकि धोनी इंडिया सीमेंट्स में वाइस प्रेसिडेंट भी हैं, यदि कंपनी का बोर्ड या टीम जिम्मेदार है तो महेंद्र सिंह धोनी भी बराबर के जिम्मेदार हैं. चेन्नई सुपर किंग्स का कप्तान होना और टीम के स्वामित्व वाली इंडिया सीमेंट्स का वाइस प्रेसिडेंट होना भी हितों के टकराव वाला का मुद्दा है. इसलिए उनके खिलाफ भी झूठा बयान देने की वजह से कार्रवाई करनी होनी चाहिए. श्रीनिवासन सीधे-सीधे तौर पर प्रभावित नहीं होंगे. वह तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन के निर्वाचित अध्यक्ष हैं. आईसीसी में बीसीसीआई के प्रतिनिधि और चेयरमैन भी हैं. हालांकि, उनकी फ्रेंचाइजी और दामाद को सजा दी गई है. इससे उनके विरोधियों, खासकर जगमोहन डालमिया और शरद पवार को ताकत मिलेगी. सितंबर में होने वाली बीसीसीआई की सालाना साधारण सभा में आईसीसी अध्यक्ष बदलने की मांग निश्चित तौर पर उठेगी. जिसकी गूंज अभी से ही सुनाई देने लगी है. फैसले के बाद आईसीसी के चेयरमैन के पद से श्रीनिवासन के इस्तीफे की मांगें भी उठने लगी हैं.
आईसीसी के पूर्व अध्यक्ष मुस्तफा कमाल ने श्रीनिवासन के आईसीसी चेयरमैन पद पर बने रहने को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. मुस्तफा कमाल ने आईसीसी की 2014 में हुई मीटिंग का हवाला देते हुए कहा कि तब हुई आईसीसी की सालाना बैठक में श्रीनिवासन से जब आईपीएल फिक्सिंग में चेन्नई सुपर किंग्स को लेकर सवाल पूछे गए थे तो उन्होंने कहा था कि अगर मैं या मेरी टीम फिक्सिंग की दोषी साबित होती है तो मैं अपने आईसीसी चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दूंगा. अब कमाल ने इसी मुद्दे पर श्रीनिवासन को घेरते हुए सवाल पूछा है कि क्या अब उन्हें अपने पद से इस्तीफा नहीं दे देना चाहिए. वहीं स्पॉट फिक्सिंग मामले के याचिकाकर्ता आदित्य वर्मा ने लोढ़ा समिति के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि बीसीसीआई को अब आईसीसी में अपने प्रतिनिधि के रूप में एन श्रीनिवासन के नामंकन को रद्द कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैं जस्टिस लोढ़ा समिति के फैसले से बहुत खुश हूं. जिन लोगों ने खेल को बदनाम किया, बीसीसीआई को उन्हें दूर कर देना चाहिए. मैं चाहता हूं कि बीसीसीआई विशेष समिति का गठन करे और श्रीनिवासन को हमेशा के लिए भारतीय क्रिकेट बोर्ड से बाहर कर दे. वर्मा ने कहा यदि बीसीसीआई ने मेरी मांग स्वीकार नहीं की तो मैं इस मसले को लेकर अदालत जाऊंगा. आर्ईपीएल शुरू से ही विवादों में घिरा रहा है. पहले साल कामयाबी की बुलंदियों को छूने के बाद से नित नये विवादों में घिरने की वजह से आईपीएल की ब्रांड वैल्यू में लगातार गिरावट आई. लोढ़ा समिति द्वारा दो बड़ी टीमों पर बैन लगाना आईपीएल की ब्रैंड वैल्यू पर सबसे बड़ा झटका है. इसका सीधा असर बीसीसीआई की कार्यशैली पर भी पड़ने वाला है. बीसीसीआई अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने कहा है कि बोर्ड लोढ़ा समिति के फैसले का सम्मान करेगा. बोर्ड के सचिव अनुराग ठाकुर ने भी कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की बात कही. साथ ही कहा कि इस संबंध में फैसले की कॉपी पढ़ने के बाद पारदर्शी तरीके से सर्वसम्मत फैसला लिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जो सबसे बड़ा सवाल है निलंबित हुई टीमों के 50 खिलाड़ियों के भविष्य का क्या होगा. बीसीसीआई के पास सभी टीमों का फिर से ऑक्शन करवाने का विकल्प बचता है, लेकिन यह इतना आसान नहीं होगा. क्योंकि दो साल बाद जब दोनों टीमें आईपीएल में वापसी करेंगी, तो फिर से नीलामी कराने की परेशानी आएगी. लेकिन आईपीएल के दसवें संस्करण के बाद सभी खिलाड़ियों की एक बार फिर से नीलामी होगी. आईपीएल के नियमों के अनुरूप दस टीमें इस प्रतियोगिता में खेल सकती हैं. पहले भी आईपीएल में आठ से ज्यादा टीमें खेल चुकी हैं, पुणे वॉरियर्स और कोच्ची टस्कर्स टीमें आईपीएल में आने के बाद वापस भी चली गईं हैं, इसलिए दो साल के लिए दो टीमों के निलंबन के बाद भी अगले सीजन में खेलती दिखेंगी. कोच्ची टस्कर्स पहले से ही वापसी करने के लिए तैयार बैठी है. बीसीसीआई के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि हमें इस बात का अंदेशा पहले से ही था. इस विषय पर वरिष्ठ अधिकारियों में कई बार चर्चा भी हो चुकी है. अब फैसले को पढ़कर और इस पर बैठक करके आगे की रूपरेखा तय की जाएगी. उनका यह भी कहना है कि अगले साल भी आपको आईपीएल में आठ टीमें ही खेलती नजर आएंगी. कई लोग फ्रेंचाइजी खरीदने के इच्छुक हैं. कई बड़ी कंपनियां पहले से ही आईपीएल में शामिल होने की इच्छुक हैं. इस दिशा में भी काम किया जा रहा है.
हाल ही में पूर्व न्यायाधीश आरसी लाहौटी ने रिपोर्ट दी थी कि बीसीसीआई पूर्व आईपीएल फ्रेंचाइजी कोच्चि टस्कर्स को 550 करोड़ रुपये जुर्माने के रूप में दे. बीसीसीआई ने करार का उल्लंघन करने के कारण 2011 में कोच्चि का करार रद कर दिया था. आईपीएल गवर्निग काउंसिल इसके खिलाफ अपील करने की तैयारी कर रही थी, लेकिन हालिया फैसले के बाद कोच्चि टस्कर्स की बांछें खिल गई हैं. वहीं, कोच्चि के मालिक पहले से ही 550 करोड़ रुपये लेने की जगह बीसीसीआई से उन्हें अगले सत्र आईपीएल में शामिल करने के लिए कह रहे हैं. इसके अलावा इंदौर और अहमदाबाद जैसे शहरों की फ्रेंचाइजी बनाने की बातें भी सामने आ रही हैं. ऐसे में अगले सीजन में टीमों की संख्या 6 होने और मैचों की संख्या घटकर 34 होने की आशंका जताई जा रही है. उस समस्या से निजात तो आसानी से मिल जाएगी. यदि बीसीसीआई टीमों की संख्या बढ़ाने के संबंध में निर्णय नहीं लेता है तो निलंबन के बाद जब चेन्नई और जयपुर की टीमें वापसी करेंगी तब उन्हें टीम बनाने के लिए फिर से शुरूआत करनी होगी. परेशानी वाला समय जल्दी निकल जाएगा. जहां तक बात निलंबन के बाद दोनों टीमों के खिलाड़ियों की है, तो समझौते के तहत खिलाड़ियों को पैसे टीमों को देने ही होंगे. खिलाड़ियों के हितों की रक्षा के लिए प्रावधान पहले से ही हैं लेकिन महेंद्र सिंह धोनी, सुरेश रैना, अजिंक्य रहाणे जैसे स्टार खिलाड़ियों को नहीं खेलता देख पाने की टींस प्रशंसकों के मन में रहेगी. सीएसके और आरआर को किसी और को बेचने का भी विकल्प खुला है. हम यह ध्यान देंगे कि खेल की पवित्रता बरकरार रहे. लोढ़ा समिति ने कहा है कि सीएसके और आरआर को कोई फ्रेंचाइजी खरीदे या नहीं इसका फैसला बीसीसीआई को करना है. बोर्ड अधिकारी ने कहा कि इंडिया सीमेंट्स और आरआर के मालिकों को बैक डोर से एंट्री करने नहीं दिया जाएगा. यदि इन दोनों फ्रेंचाइजियों को बेचने का फैसला होता है तो निश्चित ही इसकी पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होगी. गौरतलब हो कि इंडिया सीमेंट्स इसी साल सीएसके का मूल्य पांच लाख रुपये दिखाकर, इसे अपनी सहयोगी कंपनी को बेच चुकी है. हालांकि बीसीसीआई ने इसे सही नहीं माना था और इस सौदे को मंजूरी देने से इंकार कर दिया था. बोर्ड अध्यक्ष जगमोहन डालमिया इस मामले को पहले ही बीसीसीआई की कार्यसमिति को सौंप चुके हैं.
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