दास्तान-ए-इंडियन फिक्सिंग लीग

क्या आईपीएल का भविष्य खतरे में है? क्या चेन्नई सुपर किंग्स आईपीएल से बाहर की जा सकती है? कुछ ऐसे ही सवाल क्रिकेट प्रेमियों के जेहन में उच्चतम न्यायालय द्वारा आईपीएल में मैंच फिक्सिंग की जांच के लिए न्यायमूर्ति मुदगल की अध्यक्षता में गठित की गई कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद उठने लगे हैं. इस रिपोर्ट में पुष्टि की गई है कि बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मय्यप्पन चेन्नई सुपर किंग्स का हिस्सा हैं. इस बात को जांच के दौरान श्रीनिवासन और कप्तान धोनी नकार चुके हैं. आईपीएल के संविधान के मुताबिक यदि किसी भी टीम का मालिक फिक्सिंग के आरोपों में दोषी पाया जाता है तो आईपीएल से टीम को भी बर्खास्त किया जा सकता है. मुदगल कमेटी की जांच से इतर चेन्नई सीआईडी की जांच में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और सुरेश रैना के शामिल होने की बात भी सामने आई है. इसके बाद क्रिकेट प्रमियों के लिए क्रिकेट का क्या अर्थ रह जाएगा? क्या क्रिकेट रूपी धर्म अपने पतन की ओर तेजी से अग्रसर है? 

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संस्कृत में एक सूक्ति है, अति सर्वत्र वर्जयते. किसी भी चीज की अति ठीक नहीं होती है. बीसीसीआई को पैसे कमाने की ऐसी सूझी कि उसने क्रिकेट की विश्‍वसनीयता और खेल भावना दोनों को ताक पर रख दिया. आईपीएल-6 में सामने आए स्पॉट फिक्सिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मुद्गल कमेटी द्वारा रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद भारतीय क्रिकेट में भूचाल आ गया है. एक बार फिर से क्रिकेट की नींव हिलने लगी है. बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और सुरेश रैना के ऊपर भी फिक्सिंग की परछाई पड़ रही है. रिपोर्ट में भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल एक खिलाड़ी सहित छह प्रमुख भारतीय खिलाड़ियों के फिक्सिंग प्रकरण में नाम सामने आने के कारण उनपर गाज गिर सकती है. उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त किए गए तीन सदस्यीय पैनल ने अपनी जांच में एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मय्यप्पन के सट्टेबाजी में शामिल होने की पुष्टि की है.

         कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार मय्यप्पन चेन्नई सुपर किंग्स के एक प्रमुख कार्यकारी सदस्य थे. उनपर सट्टेबाजी के लिए टीम से संबंधित सूचनाएं लीक करने के आरोप सही साबित हुए हैं. जांच में हुए खुलासे से एन श्रीनिवासन के मय्यप्न को महज खेल प्रेमी बताने वाले वक्वव्य का खंडन होता है. हालांकि उन पर लगे मैच फिक्सिंग के आरोपों की और अधिक गहराई से जांच करने की आवश्कता है. खासकर 12 मई, 2013 को जयपुर में राजस्थान रॉयल्स और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच हुए मैच के संबंध में. इस मैच से संबंधित जो सूचनाएं और सुबूत अब तक उपलब्ध है, वे इस मैच को संदेह के दायरे में ले आती हैं. जस्टिस मुदगल ने यह भी कहा कि मैच फिक्सिंग मामले में मय्यप्पन की संलिप्तता है या नहीं इसके लिए सघन जांच की आवश्यकता है. जस्टिस मुदगल ने मैच फिक्सिंग मामले में राजस्थान रॉयल्स टीम के मालिक राज कुंद्रा की संलिप्तता की जांच किए जाने की भी आवश्यकता बताई है. मय्यप्पन विंदू दारा सिंह के मार्फत सट्टेबाज़ी में लिप्त थे, जो कि विक्रम अग्रवाल जैसे बुकी और सटोरियों से सीधे संपर्क में थे. मय्यप्पन ने सट्टेबाज़ी करते हुए सीएसके की जीत और हार दोनों में पैसे लगाए. इसे अंग्रेजी में हेज बेट्स कहते हैं, इसका मतलब दांव का बचाव होता है. ऐसा फायदे और संभावित नुक़सान को संतुलित करने के लिए किया जाता है. मैच फिक्सिंग के आरोप मय्यप्पन के खिलाफ सिद्ध हो जाते हैं तो सीएसके टीम को आईपीएल से बर्खास्त किया जा सकता है. आईपीएल के संविधान के मुताबिक यदि किसी टीम का मालिक मैच फिक्सिंग में लिप्त पाया जाता है तो टीम को आईपीएल से बर्खास्त किया जा सकता है. इस वजह से हर कोई मय्यप्पन को महज़ एक उत्साही क्रिकेट प्रशंसक बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अब दूध का दूध और पानी का पानी हो गया है. आगे जांच में यदि मय्यप्पन को मैच फिक्सिंग का दोषी पाया जाता है तो गाज एन श्रीनिवासन पर भी गिरेगी. हाल ही में वे आईसीसी के प्रमुख बने हैं, उन्हें बीसीसीआई और आईसीसी दोनों संस्थाओं के प्रमुख का पद छोड़ना पड़ सकता है, जो कि उनके और भारतीय क्रिकेट के लिए एक बड़ा झटका होगा. गुरुनाथ मय्यप्पन की भूमिका कमेटी के सामने इंडिया सीमेंट्स के जो भी प्रतिनिधि जांच कमेटी के सामने प्रस्तुत हुए उन सभी ने दावे के साथ कहा कि मय्यप्पन की इंडिया सीमेंट्स में कोई हिस्सेदारी नहीं है. इस वजह से उन्हें चेन्नई सुपर किंग्स का मालिक नहीं माना जा सकता. बीसीसीआई अध्यक्ष और भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के अलावा इंडिया सीमेंट्स के अन्य अधिकारियों ने बयान दिया कि गुरुनाथ मय्यप्पन का सीएसके के क्रिकेट के मामलों से कोई लेना-देना नहीं था. वह एक खेल प्रेमी हैं, जो चेन्नई सुपर किंग्स के समर्थक हैं. जांच के दौरान यह बात प्रकाश में आई कि मय्यप्पन सीएसके के प्रैक्टिस सेशन, टीम मीटिंग में, खिलाड़ियों की नीलामी के दौरान, आईपीएल टीमों के मालिकों की वर्कशॉप में मालिक के रूप में प्रतिनिधित्व किया. दुनिया भर में उनकी पहचान टीम प्रिंसिपल या टीम के मालिक के रूप में है. जांच के दौरान खेल पत्रकार शारदा उग्रा ने बताया कि मय्यप्प्न टि्वटर पर खुद को सीएसके का टीम प्रिंसिपल बताते रहे हैं. लेकिन जब मय्यपन्न के ऊपर सट्टेबाजी में लिप्त रहने के आरोप लगे तो इस तरह के सारे सुबूतों को मिटाने की कोशिश की गई जिनसे यह जाहिर हो कि मय्यप्पन अब तक खुद को सीएसके का चीफ प्रिंसिपल बता रहे हों. मुंबई पुलिस ने जांच पैनल के सामने बिजनेस कार्ड्स और लेटर हेड प्रस्तुत किए, जिससे यह जाहिर होता है कि मय्यप्पन अब तक सीएसके के चीफ प्रिंसपल होने का दावा करते रहे हैं. आईपीएल के सीईओ सुंदर रमन ने जांच के दौरान बताया कि एक्रिडेशन कार्ड में मालिक लिखे होने और आईपीएल एग्रीमेंट के अंतर्गत मालिक होने में फर्क है. सीएसके टीम में अंततः मालिक कौन है, यह बात स्पष्ट नहीं है. आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने भी इस बात को स्पष्ट करने में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई. जांच में यह पाया गया कि पिछले छह सालों में इंडिया सीमेंट्स ने मय्यप्पन के लिए एक्रिडेशन रिक्वेस्ट मालिक या मैनेजमेंट जैसे नामों से देने के लिए फारवर्ड की थी. 2011 में मय्य्पप्न को टीम डायरेक्टर के रुप में एक्रिडेशन दिया गया था, जिसमें उन्हें हर जगह आने-जान की अनुमति थी. साथ ही उनके लिए गोल्ड और मेनेजमेंट ब्लू पास की मांग की गई थी. इन सभी बातों से उनके सीएसके टीम का हिस्सा होने की बात साबित होती है. पैनल को इस बात का पूरा यकीन है कि मय्यप्पन को इस बात की जानकारी थी कि और वह ऐसी स्थिति में थे जहां उन्हें मैच की स्थिति, टीम की प्रमुख जानकारियां, टीम की रणनीति जैसी बहुत सी ऐसी जानकारियां उपलब्ध थीं, जो कि आम खेल प्रेमी के लिए उपलब्ध नहीं होती हैं. चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेलने वाले ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी माइक हसी ने अपनी किताब अन-अर्थ्ड द साउदर्न क्रॉस में चेन्नई सुपर किंग्स के बारे में लिखा है कि उनकी टीम का मालिकाना हक इंडिया सीमेंट्स के पास है, जिसके प्रमुख एन श्रीनिवासन हैं. उन्होंने टीम की बागडोर अपने दामाद गुरुनाथ मय्यप्पन को सौंपी है, जो कि कोच केपलर वेसल्स के साथ मिलकर टीम को संभाल रहे हैं. इसलिए मय्यप्पन पर आईपीएल के एंटी करप्शन कोड और दिशानिर्देश पूरी तरह लागू होते हैं. शक की सुई धोनी और रैना की ओर! एक फर्जी पासपोर्ट के मामले में जांच के दौरान चेन्नई सीबी-सीआईडी के एसपी रहे जी संपत कुमार के सामने एक सट्टेबाज़ किट्टी जैन ने खुलासा किया कि उसने एक छोटे से बुकी के रूप में शुरुआत की थी. पिछले कुछ सालों से वह होटल कारोबारी विक्रम अग्रवाल से जुड़ा हुआ है और उसका करीबी दोस्त बन गया है. किट्टी उर्फ उत्तम जैन ने बताया कि उसके पास विक्रम अग्रवाल, गुरुनाथ मय्यप्पन और क्रिकेट खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी और सुरेश रैना के आलावा कुछ और राजस्थान रॉयल्स के खिलाड़ियों के मैच फिक्सिंग में शामिल होने की जानकारी दी. किट्टी अपने पीछे इंटेलिजेंस के पड़े होने की वजह से डरा हुआ था. इसके बाद विक्रम अग्रवाल ने किट्टी से अपना मुंह बंद रखने को कहा. उसने धमकी दी कि दाउद इब्राहिम के भाई अनीस इब्राहिम ने दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर बद्रीश दत्त और गीता शर्मा को दाउद इब्राहिम के भाई अनीस इब्राहिम के गैंग के लोगों ने मौत के घाट उतार दिया, क्योंकि उसे क्रिकेट में सट्टेबाज़ी के तार अंडरवर्ल्ड से जुड़े होने की पुख्ता जानकारी हो गई थी. इस संबंध में जब दिल्ली पुलिस से जानकारी हासिल की गई तो मालूम हुआ कि पुलिस इंस्पेक्टर ने गुड़गांव में अपनी पत्नी की हत्या करके आत्महत्या कर ली थी. किट्टी ने अपने छोटे भाई के कैंसर से पीड़ित होने की वजह से आत्मसमर्पण कर दिया था. किट्टी ने मैच फिक्सिंग के संबंध में बयान दिया कि विक्रम अग्रवाल और उसकी पत्नी वंदना गुरुनाथ मय्यप्पन और उनकी पत्नी रूपा के करीबी मित्र हैं. मय्यप्पन के जरिए विक्रम अग्रवाल की सीएसके के खिलाड़ियों से जान पहचान है. खासकर एम एस धोनी और सुरेश रैना से. विक्रम अग्रवाल और गुरुनाथ मय्यप्पन नियमित तौर पर सीएसके की कुछ विशेष मेहमानों के साथ डिनर पार्टी होटल रेडिशन ब्लू, एग्मोर या खिलाड़ियों के रुकने वाले होटल में आयोजित करते रहे हैं. किट्टी भी कई ऐसी पार्टियों में मय्यपन के साथ गया था. किट्टी और मय्यप्पन से राजस्थान के एक परिचित आदमी ने संपर्क किया. 21 और 23 अप्रैल को उन्होंने रेडिसन ब्लू होटल में उससे मुलाकात की. किट्टी के पास इस बातचीत की पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं थी. उसने इतना बताया कि विक्रम अग्रवाल ने उसे बताया था कि राजस्थान रॉयल्स और चेन्नई सुपर किंग्स के मैच फिक्सिंग को लेकर बातचीत चल रही है. बातचीत को अंतिम रूप देने के लिए मय्यप्पन सीएसके के कप्तान धोनी और कुछ अन्य खिलाड़ियों से बात करेगा. बाद में किट्टी को जानकारी मिली की सीएसके और राजस्थान रॉयल्स के बीच 12 मई, 2013 को होने वाले मैच को फिक्स करने की बात हो रही है. 27 अप्रैल को डिनर पार्टी के बाद भी इस विषय पर बातचीत चलती रही. विक्रम ने किट्टी को बताया कि कुछ डील पूरी हो गई हैं. डिनर पार्टी के बाद मय्यप्पन ने बताया कि चेन्नई सुपर किंग्स के एम एस धोनी ने प्लान के अनुसार खेलने पर सहमति जता दी है और उनकी टीम 140 रन बनाएगी और यह बात जयपुर के किसी संजय नाम के व्यक्ति को विक्रम अग्रवाल ने फोन पर दी, उस वक्त किट्टी भी विक्रम के पास था. इन लोगों के यूएई और सिंगापुर के देशों में भी संपर्क थे. जहां तक जानकारी है दोनों का एक कॉमन फ्रेंड यूएई में रहता है. भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान और सुरेश रैना का नाम इस प्रकरण में आना बहुत ही चौंकाने वाला है. धोनी ने अपनी कप्तानी के बल पर न केवल भारतीय क्रिकेट टीम को, बल्कि चेन्नई सुपर किंग्स को आईपीएल की सर्वश्रेष्ठ टीम बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई है. चेन्नई सीबी-सीआईडी की जिस जांच रिपोर्ट में धोनी और रैना का नाम है, उस रिपोर्ट को दबाने की कोशिश की गई. वह रिपोर्ट मुदगल समिति के सामने भी नहीं पेश की गई, जबकि समिति ने विक्रम अग्रवाल को फिक्सिंग मामले की महत्वपूर्ण कड़ी माना है. सारी कड़ियां इंडिया सीमेंट्स के इर्द-गिर्द घूमती नज़र आ रही हैं. धोनी को पिछले साल ही इंडिया सीमेंट का वाइस प्रेसिडेंट नियुक्त किया गया है. उन्होंने मुदगल समिति को बयान देते समय इंडिया सीमेंट्स के हितों का बचाव किया. उन्होंने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए रवाना होने से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौन धारण कर लिया. चेन्नई पुलिस की जांच के सामने आने के बाद न्यूजीलैंड में दूसरे टेस्ट के पहले भी धोनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं पहुंचे. पिछले साल नई दिल्ली के विज्ञान भवन में सीबीआई द्वारा आयोजित कार्यक्रम में एथिक्स एन्ड इंटीग्रिटी इन स्पोर्ट्स विषय वक्तव्य देते हुए पूर्व भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ ने सट्टेबाज़ी को लीगलाइज करने की बात की थी. उनके अनुसार ऐसा करने से यदि खेलों में फैले भ्रष्टाचार में कमी आएगी तो मैं इसका समर्थन करता हूं. राहुल से पहले कई और लोग भी देश में सट्टेबाज़ी को कानूनी मान्यता देने की पैरवी कर चुके हैं. कुल मिलाकर इस बार भी क्रिकेट की साख को गहरा आघात पहुंचा है. आईपीएल-7 के लिए खिलाड़ियों की नीलामी के दौरान किसी के चेहरे और हावभाव में शिकन तक नजर नहीं आई. इस मसले पर हर कोई चुप्पी साधे हुए है. रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के विजय माल्या ने मुंह खोला तो उन्होंने भी सट्टेबाज़ी को लीगलाइज करने की बात कही. कुल मिलकर सट्टेबाजी को लीगलाइज करने के पक्ष में माहौल बनाया जा रहा है. ऐसा जताने की कोशिश की जा रही है कि इस तरह की गतिविधियों पर लगाम लगा पाना क्रिकेट अधिकारियों के हाथ में नहीं है, वो तो दूसरे के इशारों पर चलने वाली कठपुतली की तरह दिखाई दे रहे हैं. कुल मिलाकर जाल में फंसी बड़ी मछलियों को बचाने की हर संभव कोशिश हो रही है, जिसमें जांच के दौरान चेन्नई पुलिस की रिपोर्ट का जांच समिति तक न पहुंचना इसका एक उदाहरण है. शुक्र है कि जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल करा रहा था, इसलिए बात यहां तक पहुंच सकी है. इस मामले में राजनीतिज्ञों की चुप्पी सबसे ज्यादा हैरान करने वाली है. कोई भी इसे विषय को मुद्दा नहीं बना रहा है. इससे तो यही सिद्ध होता है परदे की पीछे सबकुछ आपसी सहमति से चल रहा है. आम क्रिकेट प्रेमी समय और पैसा बर्बाद कर रहा है और बेवकूफ बन रहा है. इस पूरे खेल में केवल दर्शक ही है जो पूरी निष्ठा के साथ इससे जुड़ा हुआ है. इसके अलावा इस खेल से जितने भी जिम्मेदार नाम या पद जुड़े हैं वे किसी न किसी रूप में क्रिकेट की गरिमा पर कालिख पोतने में शामिल हैं, इस हालत को बयां करने के लिए यह शेर बड़ा मौजूं है-

बर्बाद गुलिस्तां करनो को, एक ही उल्लू काफी है.

हर शाख पे उल्लू बैठा है अंजाम ए गुलिस्तां क्या होगा. 

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