• आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार की व्यथा-कथा : उनकी पीड़ा नसों में तेज़ाब भर देती है, पर नेता को कुछ नहीं होता

     

    tezab

    मध्य प्रदेश का चंबल का इलाका एक समय डकैतों के लिए जाना जाता था, चंबल का नाम लेते ही वहां के  बीहड़ और डकैतों की कहानियां हर किसी के जेहन में उभर आती थीं. लेकिन आज चंबल के बीहड़ में गोलियों की आवाज नहीं, किसानों की आत्महत्या के कारण पीड़ित परिवारों से रुदन के स्वर सुनाई पड़ते हैं. अत्याचार के खिलाफ बंदूक उठाकर बीहड़ में कूदने वाला किसान आज विवश होकर आत्महत्या का रास्ता चुन रहा है. सरकारों की उपेक्षा और अमानवीयता के कारण अब किसानों का अपने पैरों पर उठ खड़ा हो पाना मुश्किल नजर आ रहा है. आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार की व्यथा-कथा सुनें तो उनकी पीड़ा आपकी नसों में तेजाब भर देती है, पर नेताओं-नौकरशाहों को कुछ नहीं होता. [Read More…]